मुंबई
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने कहा है कि महाराष्ट्र में 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी को शिवसेना के साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था, क्योंकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी गठबंधन में दूसरी भूमिका निभाने की बात कभी नहीं पचा सकी।
2019 में अविभाजित शिवसेना और भाजपा ने मिलकर 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल किया था, लेकिन उद्धव ने भाजपा पर वादे के मुताबिक मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल बराबर रूप से साझा नहीं करने का आरोप लगाते हुए पार्टी से अपना दशकों पुराना गठबंधन तोड़ लिया था।
तब उद्धव ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ मिलकर महा विकास आघाडी (एमवीए) की सरकार बनाई थी, जो एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कुछ विधायकों के पिछले साल जून में बगावत करने के कारण गिर गई थी। शिंदे बाद में भाजपा की मदद से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे।
तावड़े ने शुक्रवार को एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में कहा, ”2019 में भाजपा और शिवसेना के गठबंधन की कोई आवश्यकता ही नहीं थी। 2014 के बाद शिवसेना कभी भी गठबंधन में दूसरी भूमिका निभाने की बात पचा नहीं सकी थी।”
तावड़े ने कहा, ”शिवसेना के साथ गठबंधन पर दो तरह के विचार थे। कुछ इसके समर्थन में थे और कुछ का कहना था कि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। मेरा भी यही मानना है कि गठबंधन आवश्यक नहीं था।”
तावड़े ने कहा कि भाजपा ने कभी नहीं सोचा था कि उद्धव गठबंधन तोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि इस कदम ने शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बालासाहेब ठाकरे की छवि को नुकसान पहुंचाया, जो अपने वचन से पीछे नहीं हटने के लिए जाने जाते थे।
तावड़े ने उद्धव के इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि भाजपा मुख्यमंत्री पद साझा करने के अपने वादे को पूरा नहीं कर रही थी। उन्होंने कहा, ”इस पर बहुत कुछ कहा जा चुका है। अगर (मुख्यमंत्री पद साझा करने के संबंध में) कोई आश्वासन नहीं दिया गया, तो इसे पूरा करने का सवाल ही नहीं उठता है।”
महारा