नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ विपक्ष को एक करने की कवायद कमजोर होती नजर आ रही है। अब संकेत मिल रहे हैं तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) विपक्षी एकता को लेकर 12 जून को पटना में होने वाली बैठक से दूरी बना सकते हैं। पार्टी का कहना है कि वे एक व्यक्ति या एक पार्टी या एक पार्टी को सत्ता से बाहर करने के लिए विपक्ष को एक करने में विश्वास नहीं रखते हैं। खास बात है कि बीआरएस ने कांग्रेस पर भी निशाना साधा है।
12 जून को बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी एकता को लेकर बड़ी बैठक होने जा रही है। इसी बीच गुरुवार को बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री केटी रामाराव ने कहा, ‘हमारी पार्टी का मानना है कि तीसरा या चौथा मोर्चा अब काम नहीं करेगा, क्योंकि हर राज्य में स्थिति अलग है।’ केटीआर ने कहा, ‘एजेंडा मोदी को गद्दी से हटाने का नहीं होना चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘बीआरएस पॉजिटिव एजेंडा में भरोसा करती है, जहां हम लोगों को बताएं कि तेलंगाना में क्या हुआ है और हम कैसे देश के लिए रोल मॉडल के तौर पर उभरे हैं। लोगों को भी पॉजिटिव एजेंडा पसंद है।’
खास बात है कि जनता दल यूनाइटेड नेता केसी त्यागी ने हाल ही में कहा था कि तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव और आंध्र प्रदेश सीएम जगन मोहन रेड्डी को गठबंधन में लाने की कोशिशें जारी हैं।
कांग्रेस पर निशाना
केटीआर ने केसीआर की विपक्षी एकता की कोशिशों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘उन्हें एहसास हो गया है कि इस मोड़ पर मोर्चे काम नहीं करेंगे।’ बीआरएस नेता ने कहा कि भारत में दो पार्टी सिस्टम नहीं है, जहां केवल भाजपा या कांग्रेस ही राज करेंगे। उनहोंने कहा कि कांग्रेस ने 55 साल राज किया और भाजपा ने 15 शासन किया, लेकिन दोनों ने ही देश को असफल किया है। बीआरएस 2024 में महाराष्ट्र, कर्नाटक और अन्य राज्यों में चुनाव लड़ेगी।
कांग्रेस और टीएमसी में भी ठनी!
हाल ही में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के एकमात्र विधायक बैरन विश्वास ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी हुई थी। दोनों ही दलों ने विश्वासघात करने के आरोप लगाए थे। सीएम ममता बनर्जी पहले ही अपनी शर्तें बता चुकी हैं कि जहां क्षेत्रीय दल मजबूत होंगे, वहां कांग्रेस को दूर रहना चाहिए।