हैदराबाद
राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका में हैं। वहां दिए गए भाषणों की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आलोचना की है। ओवैसी ने अमेरिका में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए 1980 के दशक में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा की कथित घटनाओं का जिक्र किया जब कांग्रेस उत्तर प्रदेश और केंद्र में सत्ता में थी। ओवैसी ने दावा किया कि राजनीतिक धर्मनिर्पेक्षता ने देश में मुस्लिमों को बर्बाद कर दिया और इसका इस्तेमाल संसद और विधानसभाओं में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व खत्म करने के लिए किया गया। अमेरिका में राहुल गांधी ने कहा था कि मुसलमान, ईसाई, दलित और आदिवासी यह महसूस करते हैं कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। ओवैसी ने कहा, ”यह अनुचित है। आप से भारतीय मुस्लिमों पर सवाल पूछा गया था, लेकिन आपने कहा कि 1980 के दशक में दलितों और सिखों के साथ भी एक जैसी चीजें घटित हुई थीं।”
ओवैसी ने कहा, ”आप को बताना चाहिए था कि मुस्लिमों के साथ क्या हो रहा है। उन्हें (राजस्थान के मुख्यमंत्री) अशोक गहलोत को सीख देनी चाहिए। राहुल गांधी को यह भी बताना चाहिए था कि राजस्थान में फरवरी में जुनैद और नासिर को कैसे मारा गया। छत्तीसगढ़ में आप की सरकार ने ‘धर्म संसद’ को प्रयोजित किया जहां महात्मा गांधी के साथ दुर्व्यवहार हुआ था।”
शाहनवाज ने भी की आलोचना
वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने भी दलितों और मुसलमानों की दुर्दशा के बारे में टिप्पणी करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना की है। उन्होंने कहा, ”भारत, अल्पसंख्यक समाज के लिए सबसे सुरक्षित देश है। दुनिया के किसी भी हिस्से से भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी बेहतर है। देश के खिलाफ राहुल गांधी के भ्रामक बयान से भारत विरोधी मुल्कों को भारत के खिलाफ दुष्प्रचार में बल मिलता है। देश का झंडा लेकर राहुल गांधी विदेश में भारत के खिलाफ भ्रामक बयानबाजी बंद करें।”
सैन फ्रांसिस्को में भारत में मुस्लिम और दलितों की स्थिति पर राहुल गांधी के बयान का जवाब देते हुए हुसैन ने कहा कि राहुल गांधी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सीखना चाहिए कि विपक्ष में होते हुए विदेश में कैसे देश की बात रखी जाती है। उन्होंने आरोप लगाया कि 1980 के दशक में कांग्रेस के राज में दलितों के साथ साथ अल्पसंख्यक समाज भी बहुत डरा और सहमा हुआ था। सिख विरोधी दंगा 80 के दशक में ही हुआ। मेरठ, मलियाना एवं भागलपुर के भीषण दंगे भी 80 के दशक में हुए थे।