नई दिल्ली
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने मानसून को लेकर तमाम आशंकाओं को फिर खारिज करते हुए अपने दूसरे अनुमान में भी सामान्य वर्षा की स्थिति बताई है। अल नीनो के असर के बावजूद जून से सितंबर के बीच 96-104 प्रतिशत तक वर्षा हो सकती है।
जून से सितंबर के बीच हो सकती है 96-104 प्रतिशत तक वर्षा
मालूम हो कि मानसून की यह स्थिति खेती एवं देश के आर्थिक तंत्र के अनुकूल है। हालांकि जून में तापमान अधिक और वर्षा कम होने की आशंका है। मगर पूरे मानसून के दौरान मध्य और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से अधिक एवं दक्षिण-पश्चिम भारत में वर्षा कम हो सकती है। केरल तट पर मानसून के प्रवेश की पूर्व अनुमानित तिथि चार जून के आसपास ही रहने की संभावना है। यह लगातार पांचवीं बार है, जब देश में मानसून सामान्य रहेगा।
अल नीनों का खतरा बरकरार
आइएमडी पर्यावरण निगरानी एवं अनुसंधान केंद्र (ईएमआरसी) के प्रमुख डी. शिवानंद पई ने शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि प्रशांत महासागर के गर्म होने के कारण अल नीनो के असर से इन्कार नहीं किया जा सकता है। इसका खतरा अभी बरकरार है। जून से सितंबर के बीच देश में लगभग चार महीने मानसून के चलते वर्षा होती है।
कृषि वाले क्षेत्रों में अच्छी वर्षा के आसार
उन्होंने कहा कि किसानों के लिए राहत की बात है कि वर्षा आधारित कृषि वाले क्षेत्रों में अच्छी वर्षा के आसार हैं। इससे खरीफ फसलों के रिकार्ड उत्पादन की प्रत्याशा की जा सकती है। इसका लाभ बाजार को भी मिल सकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी संबल मिल सकता है।
आईबीआई जता चुका है महंगाई की आशंका
मालूम हो कि दो दिन पहले ही आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने अल नीनो के चलते महंगाई बढ़ने की आशंका जताई थी, लेकिन अब अच्छी वर्षा से यह खतरा टलता दिख रहा है। यह आकलन 1977 से 2020 के बीच की औसत वर्षा के आधार पर किया गया है। इन वर्षों में वर्षा का आंकड़ा औसतन 87 सेमी रहा है। इस बार के अनुमान में चार प्रतिशत तक त्रुटि की संभावना हो सकती है।
जून में जारी किया जाएगा तीसरा अनुमान
इसके पहले मौसम विभाग ने 11 अप्रैल को मानसूनी वर्षा का पहला अनुमान जारी किया था। उसमें भी सामान्य वर्षा का आकलन किया गया था। अब तीसरा अनुमान जून में जारी किया जाएगा, जिसमें जुलाई और उसके बाद के महीनों में वर्षा की मात्रा की भविष्यवाणी की जाएगी। इसी दौरान अल नीनो के असर का भी अंदाजा लगाया जा सकेगा।
किसे कहते हैं अल नीनो
अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है। यह पूर्वी उष्णकटिबंधीय (ट्रापिकल) प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म स्थिति को दर्शाता है। यह मानसूनी हवाओं के कमजोर होने और भारत में कम वर्षा से जुड़ा हुआ है। अल नीनो की वजह से तापमान गर्म होता है।