विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- भारत कभी भी दूसरों को अपने फैसलों पर ‘वीटो’ लगाने की अनुमति नहीं देगा

नई दिल्ली
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहाकि भारत कभी भी दूसरों को अपने फैसलों पर ‘वीटो’ लगाने की अनुमति नहीं देगा। उन्होंने कहाकि भारत बिना किसी डर के वह सब-कुछ करेगा जो देश और दुनिया के लिए अच्छा होगा। जयशंकर मुंबई में एक कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे। विदेश मंत्री ने कहाकि स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। जयशंकर ने कहा कि भारत आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। एक तरफ, पिछले दशक ने दिखाया है कि उसके पास क्षमताएं, आत्मविश्वास और सबसे महत्वपूर्ण बात, व्यापक मोर्चों पर विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है। माना जा रहा है कि इस दौरान वीटो का जिक्र कर जयशंकर ने दुनिया को अपना संदेश दिया है।

एस जयशंकर ने कहाकि अस्वस्थ आदतों, तनावपूर्ण जीवनशैली या बार-बार होने वाली जलवायु घटनाओं से जूझ रही दुनिया, भारत की विरासत से बहुत कुछ सीख सकती है। लेकिन दुनिया को इस बारे में तभी पता चलेगा, जब हमारे देश के लोग इस पर गर्व करेंगे। जयशंकर ने कहा कि वैश्वीकरण के युग में प्रौद्योगिकी और परंपरा को एक साथ चलना होगा। उन्होंने कहाकि भारत जरूर आगे बढ़ेाग, लेकिन उसे अपनी भारतीयता खोए बिना ऐसा करना होगा। तभी हम बहुध्रुवीय विश्व में वास्तव में अग्रणी शक्ति के रूप में उभर पाएंगे।

जयशंकर ने कहाकि लोकतंत्र की गहराई से अब अधिक प्रामाणिक आवाजें उठी हैं। देश खुद को फिर से खोज रहा है और फिर से अपना व्यक्तित्व पा रहा है। जयशंकर को 27वें ‘एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। पुरस्कार का नाम कांची कामकोटि पीठम के 68वें द्रष्टा दिवंगत श्री चन्द्रशेखरेन्द्र सरस्वती के नाम पर रखा गया है। विदेश मंत्री इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए लेकिन उन्होंने अपना वीडियो संदेश भेजा।

‘वीटो’ के जिक्र से क्या संदेश
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के पांच स्थायी सदस्य – चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं। फिलहाल यह देश प्रक्रियात्मक फैसलों को छोड़कर, किसी भी फैसले पर अपना वीटो दे सकते हैं। यूएनसीसी की स्थापना 1945 में हुई थी। इसमें कुल 15 सदस्य हैं। पांच स्थायी सदस्यों को छोड़कर बाकी 10 अस्थायी सदस्य दो साल के लिए चुने जाते हैं। अस्थायी सदस्यों के पास वीटो पावर नहीं होता है। भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग लगातार उठा रहा है। उसका कहना है कि 21वीं सदी में 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद पर्याप्त नहीं है। इसके स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों का विस्तार होना चाहिए। फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका भी सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सीट के लिए पुरजोर आवाज उठा चुके हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *