गर्मी की छुट्टियों में बच्चों को विरासत के संस्कारों से जोडने होमवर्क के 6 सूत्र, स्कूली टीचर्स की कार्यशाला

रायपुर। स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां आरम्भ हो गई है। 45 दिनों के लम्बे अवकाश में बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में समय व्यतीत करते हैं। छुट्टियों में बच्चे समय का सदुपयोग करें व विरासत के संस्कारों को सहेजें ताकि बच्चों में सहनशीलता, धैर्य, अनुशासन, संस्कार व करुणा जैसे गुणों का विकास हो सके। स्कूलों से बच्चों को 45 दिनों के लिए होमवर्क दिया जाता हैं। होमवर्क में नवीनता लाने जैन संवेदना ट्रस्ट ने सहेजें अपने विरासत के संस्कारों को विषय पर स्कूली टीचर्स के लिए कार्यशाला का आयोजन किया है।
जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर ने आगे बताया कि वर्तमान परिवेश में अनुभव किया जा रहा है कि बच्चों में सहनशीलता, धैर्य की कमी देखी गई है। बच्चे सत्य से दूर भाग रहे हैं , वे अपना अधिकतम समय टी वी, मोबाईल, कम्प्यूटर में व्यतीत कर रहे हैं। एकाकी जीवन के कारण डिप्रेशन की स्थिति निर्मित हो रही है। बच्चों को इन विपरीत परिस्थितियों से उभारने जैन संवेदना ट्रस्ट ने अनूठा प्रोजेक्ट तैयार किया है व स्कूलों के माध्यम से कार्यशाला आयोजित कर टीचर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। प्रसिद्ध शिक्षाविद व मोटिवेशनल स्पीकर विजय चोपड़ा ने वर्धमान इंग्लिश मीडियम हायर सेकेंडरी स्कूल , सदर बाजार में आयोजित कार्यशाला में टीचर्स को 6 बिंदुओं का मंत्र दिया। जिसके आधार पर बच्चों को 45 दिनों के वेकेशन में प्रेक्टिकल कर प्रोजेक्ट लिखकर तैयार करना है। सर्वप्रथम दादा – दादी , नाना – नानी अथवा ऐसे वरिष्ठ परिजनों के साथ समय व्यतीत करना उनके अनुभव व संस्कारों को समझना उसके अनुसार प्रोजेक्ट बनाना है , इस संबंध में टीचर्स को जानकारी दी गई। प्रत्येक बच्चे को अपने माता पिता, बड़े भाई बहन व परिजनों के साथ अपने धार्मिक स्थल जाना, वहाँ के आत्मिक अनुभव को साझा करना है।
मोटिवेशनल स्पीकर विजय चोपड़ा ने कार्यशाला में आगे बताया कि बच्चों को मोहल्ले के वरिष्ठजनों से परिचय बढ़ाना है, उनके अनुभव व्यवहार से सीखना है और अपना प्रोजेक्ट तैयार करना है। चोपड़ा ने आगे कहा कि बच्चों को पर्यावरण से जुड़कर जीवन जीना सीखना है , और अपने अनुभवों को प्रोजेक्ट के माध्यम से साझा करना है। बच्चों को अपने व्यवहार में दया , करुणा के गुणों का विकास कैसे हो इस दिशा में दैनिक जीवन में आचरण करना है , प्राणिमात्र के प्रति छोटी छोटी सहयोग की भावना रखते हुए कार्य करना और उन्हें प्रोजेक्ट के माध्यम से दूसरों के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना है। अपने परिजनों के साथ प्रेमभाव बना रहे व बढ़े इस हेतु दिन में एक समय का भोजन सभी साथ बैठकर करें , व आपस में सार्थक चर्चा करते रहें। कार्यशाला के माध्यम से टीचर्स को उपरोक्त प्रोजेक्ट के विषय में मोटिवेशनल स्पीकर विजय चोपड़ा ने विस्तार से समझाया जिससे टीचर्स आगामी 45 दिनों के लिये बच्चों को होमवर्क में उपरोक्त विषयों का समावेश कर सके।
जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर ने बताया कि कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करना है। जीवन में संस्कारों के महत्व को समझना व समझाना जरूरी है। शिक्षाविद व मोटिवेशनल स्पीकर विजय चोपड़ा ने कहा कि संस्कार विरासत में मिलते हैं , बाजार से खरीदे नही जा सकते। इसी मूल वाक्य को कार्यशाला प्रोजेक्ट में समाहित किया गया है। अनेक स्कूलों में कार्यशाला आयोजित कर बच्चों को प्रोजेक्ट बनाने होमवर्क दिया जावेगा। छुट्टियों के पश्चात पहली से बारहवीं तक की कक्षाओं में प्रथम द्वितीय व तृतीय प्रोजेक्ट्स को पुरस्कृत किया जावेगा।

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