वाशिंगटन। अमेरिका सहित दुनियाभर में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अब यह कहा जाने लगा है कि कोरोना वायरस को नियंत्रित करना चीन के शीर्ष नेतृत्व के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। चीनी लोगों खासकर युवाओं में गुस्सा है। इस संक्रमण के प्रति आगाह करने वाले चीनी चिकित्सक ली वेन लियांग के निधन के बाद सोशल मीडिया में संदेह व्यक्त किया जाने लगा है कि अमेरिका के साथ कारोबारी जंग से खस्ता होती जा रही अर्थव्यवस्था, हांगकांग में महीनों तक चले छात्र आंदोलन और पिछले महीने ताइवान में गुस्साए युवाओं के बल पर प्रतिपक्ष की सरकार के गठन ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने सत्ता पर बने रहने की चुनौती पेश कर दी है।
लंदन स्थित एक चीनी शोध संस्थान के निदेशक स्टीव त्सांग ने कहा है कि कोरोना वायरस को आपातस्थिति के तौर पर नियंत्रित करना निर्विदाद रूप से शीर्ष नेतृत्व के रूप में शी जिनपिंग की जिम्मेदारी है। वह इस अग्निपरीक्षा में विफल रहते हैं तो उन्हें सत्ता पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।
उधर, कोरोना वायरस से अब तक 722 लोगों की मौत हो चुकी है। दो दर्जन देशों सहित चीन में इस वायरस से संक्रमित संदिग्ध मरीजों की संख्या 34, 546 तक पहुंच गई है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने दावा किया है कि डाक्टर ली वेन लियांग ने निधन से एक सप्ताह पूर्व साक्षात्कार में दावा किया था कि इस भयावह संक्रमण के बारे में खुलेपन और पारदर्शिता से काम लिया होता तो इस स्थिति पर समय रहते अंकुश लगाया जा सकता था। डाक्टर ली लियांग ने आशंका जताई थी कि उनके इस तरह के बयान के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा, लेकिन उन्होंने अपनी परवाह नहीं करते हुए इस भयावह संक्रमण के बारे में बताना उचित समझा।
अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी के चिकित्सकों ने भी आगाह किया था कि प्रायः एक वायरस औसतन तीन व्यक्तियों को ग्रसित करता है, लेकिन कोरोना वायरस ने इतनी तेजी के साथ एक के बाद कुछ समय में हजारों लोगों को संक्रमित कर सभी सीमाएं तोड़ दी हैं।
उधर, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प सहित अनेक देशों के शीर्ष नेताओं से बातचीत की है । ट्रम्प ने शी के प्रति विश्वास व्यक्त करते हुए सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया है। हालांकि जिनपिंग प्रशासन ने अमेरिका के साथ कारोबारी जंग में अपनी खस्ता आर्थिक स्थिति को संजीवनी के रूप में 174 अरब डालर खपाने के निर्देश दिए हैं ।