नईदिल्ली। 2014 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस को एक और झटका लगता दिख रहा है। भारत के पहले भारतीय गवर्नर-जनरल सी राजगोपालचारी के पोते सीआर केसवन ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस्तीफे के कारण गिनाते हुए पत्र भी लिखा है। उन्होंने बताया कि पार्टी के मौजूदा मत से सहमत नहीं हैं। खास बात है कि वह वायनाड सांसद राहुल गांधी की अगुवाई में हुई ‘भारत जोड़ो’ यात्रा का भी हिस्सा नहीं बने थे।
उन्होंने कहा, ‘एक बार पार्टी छोड़ने के बाद मुझे नहीं लगता कि मुझे कांग्रेस पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए। कांग्रेस में जिस तरह की राजनीति हो रही है, उससे मैं सहज नहीं हूं और पार्टी छोड़ना ही सही फैसला है और यही मैंने आज किया।’ उन्होंने कहा, ‘मैं बीते 22 सालों से कांग्रेस का हिस्सा हूं, लेकिन समय के साथ मुझे महसूस हुआ कि कांग्रेस में दृष्टिकोण न रचनात्मक था और न ठोस। जिन मूल्यों के लिए मैंने काम किया, वे बदल गए हैं।’
उन्होंने गुरुवार को खड़गे के नाम पत्र लिखा, ‘विदेश में सफल करियर छोड़कर, मैं भारत वापस अपने देश की सेवा करने के लिए आया था। समावेशी और राष्ट्रीय बदलाव के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध विचारधारा से प्रेरित होकर साल 2001 में मैं कांग्रेस पार्टी में शामिल हुआ था।’
उन्होंने पत्र में बताया कि वह राजीव गांधी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूथ डेवलपमेंट में उपाध्यक्ष, प्रसार भारती बोर्ड के सदस्य, नेशनल मीडिया पैनलिस्ट के तौर पर इंडियन यूथ कांग्रेस का सदस्य समेत कई पदों पर रह चुके हैं।
उन्होंने आगे लिखा, ‘लेकिन मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि कुछ समय से मुझे वो मूल्य नहीं दिख रहे हैं, जो बीते दशकों से पार्टी के लिए काम करने के लिए मुझे प्रेरित कर रहे थे। मैं अब अंदर की अच्छी आवाज से यह नहीं कह सकता कि मैं पार्टी के वर्तमान मत से सहमत हूं। यही वजह है कि मैंने हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर संगठन स्तर पर एक जिम्मेदारी अस्वीकार कर दी थी और भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल नहीं हुआ।’
खास बात है कि उन्होंने खड़गे के अलावा पार्टी की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी का धन्यवाद किया है, लेकिन राहुल का कहीं भी जिक्र नहीं है। साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि वह किसी अन्य दल से बात नहीं कर रहे हैं। उन्होंने लिखा, ‘मेरे किसी दूसरी पार्टी में जाने के बारे में अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन साफ कर दूं कि मैंने किसी से भी बात नहीं की है और ईमानदारी से आगे क्या होगा यह मैं नहीं जानता।’