भोपाल
सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, श्री पी. नरहरी ने भोपाल जिले के ग्राम बिलखिरिया में अभियान के समापन दिवस पर जल सैनिक नंबर 1 का प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। इस दौरान विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे। साथ ही अभियान के दौरान हुई गतिविधियों के बारे में ग्रामीणों से चर्चा भी की। सृजल शक्ति इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों में सतत जल आपूर्ति और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करना था। सचिव श्री नरहरी ने उपस्थित ग्रामीणों को संकल्प भी दिलाया और पौधरोपण भी किया। 2 अक्टूबर 2024 को गांधी जयंती के अवसर पर 'निरंतर-धारा दिवस' पर कई गतिविधियों के साथ सुजल शक्ति अभियान का समापन हुआ। अभियान के समापन अवसर पर चिन्हित ग्रामों में सुजल अभियान की उपलब्धियों की प्रस्तुति और जल आपूर्ति योजनाओं की समीक्षा के लिए ग्राम सभा का आयोजन किया गया। पंचायत प्रतिनिधियों, ग्राम जल और स्वच्छता समिति, पंप ऑपरेटरों, स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण समुदाय के प्रमुख सदस्यों की भागीदारी ने इस कार्यक्रम को एक महत्वपूर्ण जन-सहभागिता मंच बनाया।
अभियान के लिए प्रमुख योगदान देने वालों को जल सैनिक नंबर 1 पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साथ ही, "हम जल साथी" के रूप में चयनित परिवारों की भी सराहना की गई, जिन्होंने जल प्रबंधन में सक्रिय भूमिका निभाई। ग्रामीण स्तर पर 24×7 जल आपूर्ति योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए हर घर जल प्रमाणीकरण के तहत गांवों को प्रमाणित किया गया, जिसमें समर्पित समुदायों ने अपनी जल आपूर्ति योजनाओं का संचालन और रख-रखाव सुनिश्चित किया।
कार्यक्रम में सांस्कृतिक आयोजनों और जल संरक्षण पर आधारित प्रस्तुतियों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। ग्रामीण समुदाय ने जल पूजा का आयोजन कर जल स्रोतों के प्रति अपनी आस्था और समर्पण प्रदर्शित किया। जल स्रोतों की सफाई हेतु श्रमदान, स्वच्छता सर्वेक्षण और जलापूर्ति की समीक्षा गतिविधियों ने जल प्रबंधन के प्रति गांव की जागरूकता और सहयोग को दर्शाया।
अभियान के समापन पर स्थायी जल आपूर्ति के लिए दीर्घकालिक कार्य योजना तैयार की गई, जिसका क्रियान्वयन स्थानीय समितियों द्वारा निगरानी के साथ किया जाएगा। ग्रामीण स्तर पर जल स्रोतों की सुरक्षा और जल गुणवत्ता में सुधार के लिए गठित युवा कार्यबल भी इस कार्य योजना का अहम हिस्सा है।
समारोह के अंत में, ग्रामीणों ने इस अभियान की सफलता और भविष्य की जल योजनाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहरायी, जिससे यह अभियान स्थायी जल आपूर्ति की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुआ।