पटना.
बिहार में शराबबंदी है और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने न सिर्फ अपने सभी मंत्रियों, विधायकों और पदाधिकारियों को बल्कि सभी सरकारी कर्मियों को शराब सेवन नहीं करने की शपथ दिलवाई। अब उनके एक मंत्री का फोटो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह कुछ लोगों के साथ हैं। इस दौरान टेबल पर खाने-पीने के साथ-साथ शराब के बोतल और ग्लास भी दिख रहे हैं।
यह तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर शेयर भी किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह तस्वीर अशोक चौधरी की जरुर है, लेकिन बिहार की नहीं बल्कि दुबई की है। इस तस्वीर में मंत्री अशोक चौधरी प्लेट में कुछ खाते हुए दिख रहे हैं। तस्वीर में उनके साथ तीन महिलाएं और एक अन्य पुरुष हैं, जो पास के कुर्सी और सोफे पर बैठे हैं। चर्चा यह है कि मंत्री अशोक चौधरी के आगे रखे गए टेबल पर शराब मौजूद है। बोतल में शैंपेन और शराब है। तस्वीर में अशोक चौधरी के सामने एक ग्लास खाली है जबकि दूसरे में शराब जैसी कोई चीज है। कहा जा रहा है कि उसमें शराब है। तस्वीर में क्या है वह दिख रहा है, लेकिन ग्लास में क्या है न तो वह स्पष्ट हो रहा है और न ही खाली ग्लास के संबंध में यह स्पष्ट हो रहा है कि ग्लास खाली ही रह गया या उसमें शराब डालने के बाद खाली किया गया है।
अशोक चौधरी लगातार हो रहे हैं विवादित
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी लगातार विवादों में रह रहे हैं। कुछ महीने पूर्व अशोक चौधरी ने जहानाबाद में भूमिहार जाति को लेकर एक विवादित बयान दिया था, जिस पर खूब सियासत हुई। उनके इस बयान पर भूमिहार वर्ग में इनके खिलाफ आक्रोश देखा गया था। विपक्ष ने भी अशोक चौधरी के इस बयान पर खूब मजा लिया था। फिर इसके बाद अशोक चौधरी ने सोशल मीडिया पर एक कविता पोस्ट किया था। उनके इस पोस्ट पर भी खूब हंगामा हुआ था, जिसमें विपक्ष के साथ-साथ पार्टी के अंदर भी खूब घमासान मचा था।
सरकार की हो रही किरकिरी
मंत्री अशोक चौधरी के इस नये विवाद मेंनीतीश सरकार की खूब किरकिरी हो रही है। लोग साफ़ तौर पर कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री बिहार में शराब न पीने की शपथ दिलवाते हैं और उनके मंत्री और अधिकारी बिहार से बाहर निकलते ही शपथ की धज्जियाँ उड़ाने लगते हैं।
लोक सभा चुनाव में भी हुए थे ट्रोल
मंत्री अशोक चौधरी लोकसभा चुनाव में भी सुर्ख़ियों में थे। इसकी वजह यह थी कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी नवादा संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी विवेक ठाकुर के पक्ष में प्रचार करने गये थे। कहा जाता है कि उनके आने की सूचना पहले ही गांव वालों को हो गई थी। इस वजह से उनके गांव में प्रवेश करने के साथ ही ग्रामीण एकत्रित होकर उनका विरोध करने लगे। यहां तक कि ग्रामीण उनके खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे। मुर्दाबाद के नारे सुनते ही उन्हें वापस लौटना पड़ गया था।