मीसाबंदियों का सम्माननिधि रोकना अनुचित: कौशिक

रायपुर। प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आपातकाल के दौरान विरोध की वजह से जेलों में बंद मीसाबंदियों की सम्माननिधि रोके जाने की फैसले को अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार हमेशा की तरह जनविरोधी फैसला ले रही है जिसकी हम निंदा करते है। प्रदेश में करीब 300 मीसाबंदी है जिन्हें सम्माननिधि दिया जा रहा था, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने आदेश निकालकर सम्माननिधि नहीं देने की बात कही है।
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि सन् 1977 में केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने मौलिक अधिकारों का निलंबन कर दिया था और पूरे देश में आपातकाल लगा दिया गया था। इसके विरोध में जब देश में आवाज बुलंद होने लगी तो लाखों प्रदर्शनकारियों को जेल भेज दिया गया था। लम्बे अंतराल तक जेल में रहने के बाद और कांग्रेस के आम चुनावों में पराजय के बाद मीसाबंदियों की रिहाई हो सकी थी। उन्होंने कहा कि मीसाबंदियों को लम्बे समय तक प्रदेश के हमारी सरकार ने मीसाबंदियों की सम्माननिधि शुरू किया था जिसे अब वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने बंद करने का फैसला लिया है यह अनुचित है व लोकतंत्र की हत्या है। नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि जब माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर ने सेनानियों की लगभग 90 याचिकाओं पर प्रदेश शासन को आदेशित किया है कि माह फरवरी 2019 से बकाया सम्माननिधि सेनानियों को तत्काल प्रदान किया जावे व भविष्य में नियमित सम्माननिधि प्रदान किया जावे, उक्त आदेश का यथावत पालन न करे यह निर्णय शासन की हठधर्मिता व दंभोक्ति को प्रदर्शित करता है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार को इस मसले पर पुनर्विचार करते हुए अपने फैसले को वापस लेना चाहिए। यह फैसला दुर्भावना से लिया गया फैसला है।

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