नई दिल्ली । कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा अंतिम दौर में है। अब सवाल है कि पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में जारी करीब 3500 किमी की यह यात्रा कांग्रेस के लिए कितनी मददगार होगी? हाल ही में हुए एक सर्वे में पता लगा है कि यात्रा से कांग्रेस को चुनाव जीतने में खास मदद नहीं मिलेगी। वहीं, विपक्षी नेतृत्व के तौर पर भी लोगों ने राहुल को नकार दिया है।
पहले भारत जोड़ो यात्रा का असर समझें
इंडिया टुडे-सीवोटर सर्वे में खुलासा हुआ है कि 37 फीसदी लोगों का मानना है कि यात्रा ने माहौल बनाने में मदद तो की है, लेकिन यह चुनाव जीतने में मददगार नहीं होगी। 29 फीसदी लोगों का मानना है कि बड़े स्तर पर लोगों से जुड़ने का यह अच्छा रास्ता है। जबकि, 13 प्रतिशत लोग मानते हैं कि यह केवल राहुल की छवि को दोबारा तैयार करने की कोशिश है। 9 फीसदी का मानना है कि यात्रा से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा। सर्वे में 1 लाख 40 हजार 917 लोगों के जवाब दर्ज किए गए थे। साथ ही इस दौरान सीवोटर के 1 लाख से ज्यादा इंटरव्यू के जरिए भी जानकारी जुटाई गई थी।
विपक्ष का नेता कौन?
फिलहाल, देश में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी एकता की चर्चा है। हालांकि, नेताओं की तैयारियां जारी हैं, लेकिन अंतिम मुहर नहीं लग सकी है। इसी बीच एक सवाल लगातार बना हुआ है कि विपक्ष एकजुट हुआ, तो नेतृत्व कौन करेगा? सर्वे से पता चला है कि राहुल के मुकाबले जनता आम आदमी पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ज्यादा पसंद कर रही है। 24 प्रतिशत लोगों का मानना है कि विपक्ष के नेतृत्व के लिए केजरीवाल सही नेता होंगे। वहीं, 20 फीसदी को पश्चिम बंगाल सीएम और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी में भरोसा है। केवल 13 प्रतिशत लोगों ने ही राहुल को विपक्ष के लिए उचित नेता माना।
कितना असरदार होगी विपक्षी एकता?
विपक्षी एकता बनाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिहाज से 2023 की शुरुआत भाजपा के लिए अच्छी साबित होती दिख रही है। 47 फीसदी लोगों का मानना है कि इससे मोदी सरकार को चुनौती नहीं मिलेगी। जबकि, 39 प्रतिशत पक्ष में हैं। खास बात है कि जनवरी 2022 में 49 प्रतिशत लोगों का मानना था कि विपक्षी एकता पीएम मोदी को चुनौती दे सकता है। उस दौरान 41 फीसदी इससे इनकार कर रहे थे।