रायपुर। विभाजनकारी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को भारत के संविधान, गरीबों, अनुसूचित जनजाति, आदिवासियों एवं अल्पसंख्यकों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने सीधा हमला किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह भारत की लगातार गिरती अर्थव्यवस्था, बेकाबू हो रही बेरोजगारी और उसके चलते युवाओं द्वारा की जा रही आत्महत्याओं, खाने पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों, महंगे होते पेट्रोल-डीज़ल और निरंतर बढ़ती महंगाई, अनियंत्रित कृषि संकट जैसी अपनी सरकार की विफलताओं से ध्यान भटकाने के लिए ‘फूट डालो, शासन करो’ के एजेंडे के तहत सीएए का दुरुपयोग कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी, मुस्लिम सहित सभी लोगों को उनकी राष्ट्रीयता, मूल देश, निवास स्थान, धर्म एवं जाति के भेदभाव के बिना हर किसी को भारत की नागरिकता दिए जाने के अवसर की मांग करती है। भाजपा सरकार का दोहरा चाल, चरित्र, चेहरा एवं विभाजनकारी चेहरा काले नागरिकता कानून से उजागर हो चुका है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि विकास और अच्छे दिन के नाम पर वोट लेने वाली भारतीय जनता पार्टी अर्थव्यवस्था सहित सभी मोर्चो पर अपनी नाकामी को छुपाने धर्म को धर्म से, भाई को भाई से लड़ाने में लगी है। मोदी सरकार के नागरिकता के काले कानून के खिलाफ यह किसी एक धर्म की लड़ाई नहीं बल्कि भारतीयता को जीवित रखने की लड़ाई है। यह लोकतंत्र बनाम हिटलरशाही की लड़ाई है। राष्ट्रीयता बनाम सांप्रदायिकता की लड़ाई है। गांधी बनाम गोडसे की लड़ाई है। सरदार पटेल के संगठित भारत बनाम सावरकर के फूट डालो नीति की लड़ाई है। बाबा साहेब आंबेडकर के कानून के समक्ष समानता के सिद्धांत के विरुद्ध आर एस एस के बांटने और काटने के हिडन एजेंडा को लागू करने की साजिश के खिलाफ लड़ाई है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि असल बात यह है कि मोदी सरकार के विगत 6 साल में ना कोई उद्योग लगा, कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था रसातल पर पहुंचा दी गई। बेरोजगारी चरम पर है जिसे छुपाने रोज नए कुतर्क गढ़े जा रहे हैं। युवाओं को पकोड़े तलने की सलाह दिए जा रहे हैं। फिर भी बात नहीं बनने पर आपसी मतभेद पैदा कर धर्म से धर्म के बीच खाई खोदने का काम किया जा रहा है। सिर्फ भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में ही हिंसक घटनाएं देखी जा रही है जिसका स्पष्ट तात्पर्य यह है कि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी ध्रुवीकरण का लाभ लेने नफरत और हिंसा को बढ़ावा दे रही है और लगातार देश की एकता और सौहार्द के खिलाफ काम कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि कांग्रेस ने गांधी जी, नेहरू, पटेल जैसे नेताओं के नेतृत्व में ब्रिटिश पीएम रामसे मैकडोनाल्ड के कुख्यात ‘कम्युनल अवार्ड’, ‘रॉलेट एक्ट’ के खिलाफ सत्याग्रह; नमक कानून, 1882 के खिलाफ ‘नमक सत्याग्रह’; वाईसरॉय द्वारा लाए गए ‘सिविल मार्शल लॉ’ के खिलाफ ‘असहयोग आंदोलन’ जैसे अनेक आंदोलन चलाकर भारत की आवाज उठाई। देश मोदी सरकार द्वारा किसानों से कुठाराघात करने के लिए लाए गए भूमि अधिग्रहण (संशोधन) कानून, 2015 के खिलाफ कांग्रेस के निर्णायक आंदोलन को भूला नहीं है, जिससे मोदी सरकार को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। नागरिकता कानून के भी खिलाफ कांग्रेस लड़ेगी और अपनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचायेगी भी।
मरकाम ने मौर्य से मांगा जवाब
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने नागरिकता कानून के समर्थन में रैली में शामिल होने छत्तीसगढ़ आये उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से पांच सवाल पूछे है :
1 उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को इस बात का जवाब देना चाहिए कि पूरे देश में भाजपा शासित राज्यों में ही उत्तर प्रदेश में सीएम विरोधी प्रदर्शनों का इतनी क्रूरता से दमन क्यों किया गया? सिर्फ उत्तर प्रदेश में 28 लोग मारे गये।
2 बाबा साहब अंबेडकर के बनाए हुए संविधान में सभी धर्मों के एक होने की बात कही गई है, धर्म के आधार पर भारत में किसी से भेदभाव नहीं किया जाएगा यह बात कही गई है। इसके बावजूद सीएए कानून हिंदू और मुसलमान में भेद क्यों करता है? धर्म से धर्म को लड़ाने की यह साजिश क्या उचित है?
3 गरीब और खासकर भूमिहीन, अशिक्षित आदिवासी, अनुसूचित जाति के लोग अपनी नागरिकता साबित करने के लिये पासपोर्ट, डिग्री, जमीन का कागज कहां से लायेंगे? नोटबंदी की ही तरह पूरे देश को कतार में खड़ा करने से मोदी और शाह को क्या मिलेगा?
4 आसाम में एनआरसी लागू करते समय 40 लाख से अधिक लोगों को नागरिकता से वंचित किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ के भी बहुत सारे लोग शामिल है। उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ भेदभाव करने वाली एनआरसी को उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री होने के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य कितना सही मानते हैं?
5 संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह स्पष्ट रूप से क्रोनोलॉजी बता चुके हैं, पहले सीएए फिर एनपीआर और उसके बाद एनआरसी। इसके बाद भी मोदी जी और केशव प्रसाद मौर्य कैसे कह सकते हैं कि एनपीआर और एनआरसी की तो अभी बात ही नहीं है?