रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने छत्तीसगढ़ मंत्रिपरिषद में एनपीएस से ओपीएस लागू होने के बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को मिलने वाले पेंशन के संबंध में केंद्र और राज्य सरकार पर प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है।
संघ के संरक्षक विजय कुमार झा, महामंत्री उमेश मुदलियार, संरक्षक अजय तिवारी ने बताया है कि एनपीएस में सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जमा राशि का 60 प्रतिशत दो किस्तों में 20 प्रतिशत एवं 40 प्रतिशत का भुगतान किए जाने की व्यवस्था है। शेष बचे 40 प्रतिशत राशि को सरकार अपने पास जमा रख उसके ब्याज से प्राप्त होने वाली राशि से ही पेंशन देने की व्यवस्था कर रहीं हैं। मंत्रिपरिषद 1 अप्रैल 2022 के बाद भविष्य निधि कटौती एवं पेंशन देने का प्रस्ताव व जमा राशि के आहरण का प्रस्ताव मंत्रिपरिषद में रखा है। इसके अंतर्गत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को उनकी जमा राशि राज्य सरकार को मिलने पर उसी के ब्याज से पेंशन देने की व्यवस्था करेगी। क्योंकि एनएसडीएल कंपनी सीधे राज्य सरकार को भुगतान नहीं कर रही है। झा ने कहा है कि भाजपा के युवा मोर्चा नेता पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी वर्ष 2008 के आईएएस हैं। उन्होंने 2018 में त्यागपत्र दिया, 10 साल की सेवा में उनका अंतिम वेतन लगभग एक लाख था। उस हिसाब से उन्हें लगभग 50 हजार पेंशन मिलनी चाहिए थी। सेवानिवृत्त कर्मचारी के अंतिम वेतन का आधा पेंशन मिलता है। किंतु मात्र 20 प्रतिशत के आधार पर उन्हें केवल 10 हजार रू प्रति माह पेंशन मिल रहा है। इसी प्रकार कलेक्ट्रेट की वरिष्ठ महिला लिपिक श्रीमती माधुरी लता ठाकुर, एनपीएस योजना के तहत सेवानिवृत्त हुई हैं। उनका अंतिम वेतन 32000 था। उस आधार पर उन्हें 16 हजार रू प्रतिमाह पेंशन मिलना चाहिए। किंतु केवल 22 सौ रू ही पेंशन मिल रहा है। ऐसी स्थिति में एनएसडीएल कंपनी जमा राशि को वापस नहीं कर रही है और राज्य सरकार अपने स्वयं के पैसे से पेंशन नहीं देना चाह रही है।
कुल मिलाकर आरक्षण व्यवस्था की भांति 76 प्रतिशत आरक्षण सरकार देने तैयार है किंतु राज्यपाल राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय नहीं दे रही है। वैसे ही राज्य सरकार पुरानी पेंशन लागू कर अपना पीठ थपथपाना चाहती है। किंतु केंद्र सरकार, केंद्रीय वित्त मंत्री ने लोकसभा में स्पष्ट कह दिया है कि जमा राशि वापस नहीं होगा। एनएसडीएल कंपनी के शेयर मार्केट में केंद्र व्यवसाय कर रही है। किन परिस्थितियों में कैबिनेट के निर्णय के बाद भी कर्मचारियों का 18 वर्ष का जमा पूंजी व उस पर नियमानुसार चक्रवृद्धि ब्याज जो 1 नवंबर 2004 से 31 मार्च 2022 तक की राशि वापस मिलना संदेहास्पद है। संघ के प्रांतीय सचिव आलोक जाधव, संजय शर्मा,प्रदीप उपाध्याय,नरेश वाढ़ेर, विजय कुमार डागा, शेखर सिंह ठाकुर, जिला शाखा अध्यक्ष रामचंद्र ताण्डी, डां अरुंधति परिहार, सुनील जरौलिया, राजकुमार शर्मा, पीतांबर पटेल, काजल चौहान, सुंदर यादव आदि ने कर्मचारियों के 18 वर्ष की राशि उनके खाते में हस्तांतरित कराने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय वित्त मंत्री वी सीतारमण व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नव वर्ष में की है।