रायपुर। संचालक लोक शिक्षण द्वारा स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी एवं हिन्दी माध्यम स्कूलों में प्रतिनियुक्ति पर शासकीय सेवकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में सभी कलेक्टरों एवं पदेन अध्यक्ष स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन स्कूलों में पदस्थ विभागीय शासकीय सेवकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए प्रस्ताव समिति के अनुमोदन पश्चात सक्षम अनुशासनिक प्राधिकारी प्राचार्य संवर्ग के लिए सचिव स्कूल शिक्षा, व्याख्याता संवर्ग के लिए संचालक लोक शिक्षण संचालनालय, शिक्षक संवर्ग के लिए संभागीय संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा और सहायक शिक्षक संवर्ग के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को भेजे जा सकते हैं।
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा कलेक्टरों को जारी पत्र में कहा गया है कि स्कूल शिक्षा विभाग के शासकीय सेवकों-प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक, सहायक शिक्षक सहित अन्य लिपिकीय संवर्ग के कर्मचारियों की सेवाएं मूल विभाग (स्कूल शिक्षा विभाग) के अधीन ही जिला स्तर पर पंजीकृत शासकीय स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल में प्रतिनियुक्ति पर सौंपी गई हैं। लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा कलेक्टर (पदेन अध्यक्ष) स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट स्कूल को सोसायटी/संचालन समिति के लिए प्रेषित विधि सम्मत में प्रतिनियुक्ति पर सौंपे गए शासकीय सेवकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने का उल्लेख नहीं है, किन्तु बिन्दु क्रमांक-18 में उल्लेखित है कि विवाद की स्थिति होने पर अध्यक्ष को साधारण सभा के अनुमति से सुलझाने का अधिकार होगा।
छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम-1966 के नियम 20 एवं 21 के अनुसार प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ शासकीय सेवकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के प्रावधान व प्रक्रिया उल्लेखित है। जिसके अनुसार प्रतिनियुक्ति पर (उधार पर) लेने वाले नियोक्ता प्राधिकारी को ऐसे शासकीय सेवक को निलंबित करने तथा उसके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की शक्ति प्राप्त होगी। इसके अलावा-छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश अनुसार प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत शासकीय सेवकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में स्पष्ट किया गया है कि-मूल विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग के पदों पर प्रतिनियुक्त (पदस्थ) तथा बाह्य सेवा में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ शासकीय सेवकों के विरूद्ध मुख्य शास्ति के लिए आवश्यकतानुसार विभागीय जांच तथा लघु शास्ति के लिए कार्यवाही के संबंध में प्रावधान छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम-1966 के नियम 20 एवं 21 में उल्लेखित हैं। जहां कदाचार मूल विभाग से अन्यत्र/बाह्य सेवा में पदस्थी के दौरान का हो तो विभागीय जांच की कार्यवाही अथवा लघु शास्ति के लिए कार्यवाही उसी विभाग/प्राधिकरण/संस्था द्वारा की जा सकती है, जिसने कदाचार करने वाले शासकीय सेवक की सेवाएं प्राप्त की थी। जांच पूरी होने पर यदि लघु शास्ति दिए जाने की स्थिति बनती है तो नियम 20 एवं 21 के प्रावधानों के पालन उपरांत लघु शास्ति अधिरोपित की जा सकती है, किन्तु यदि प्रकरण मुख्य शास्ति के लायक समझा जाए तो विभागीय जांच से संबंधित सम्पूर्ण अभिलेख मूल विभाग को भेजना होगा। मूल विभाग का सक्षम नियुक्तिकर्ता/अनुशासनिक प्राधिकारी प्रकरण में योग्य निर्णय लेकर प्रकरण का निपटारा करेगा।