जगदलपुर। आरक्षण को लेकर लेकर तुष्टीकरण की राजनीति के विरोध में प्रदेश भर में सामान्य वर्ग एकजुट हो रहा है। संघोष्ठियों एवं विचार-विमर्श का दौर लगातार जारी है। आगामी समय मे सामान्य वर्ग को संगठित कर अनारक्षित वर्ग की बात नही तो, वोट नही अभियान भी चलाया जाएगा। सामान्य वर्ग को संगठित करने के लिये योजनाबद्ध तरीके से 01 जनवरी से चौक-चौराहों में सदस्यता अभियान चलाया जाएगा और साथ ही भविष्य की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। सामान्य वर्ग अपनी पीड़ा और हो रही उपेक्षा को लगातार जिम्मेदारों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। सामान्य वर्ग एवं समाज प्रमुखों की आयोजित बैठक में सर्वसम्मति से प्रदेश स्तर पर संगठन गठित करने का निर्णय लिया गया। संगठन का नाम छत्तीसगढ़ अनारक्षित वर्ग संघ रखा गया है।
बैठक में उपस्थित सदस्यों ने विचार व्यक्त करते हुए बड़े ही स्पष्ट रूप से यह बात रखी कि सामान्य वर्ग की समस्यायों से किसी भी राजनीतिक दल को कोई दिलचस्पी नही है। अनारक्षित वर्ग आजादी के बाद से ही लगातार उपेक्षा और असमानता का दंश झेल रहा है, पर इस विषय पर बोलने को कोई तैयार नही। संविधान सर्वोपरि है और संविधान में ही समानता का अधिकार स्पष्ट रूप से उल्लेखित है, संविधान में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि एक वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए आप दूसरे वर्ग के अधिकारों का हनन करेंगे, बावजूद इसके लोगों की भावनाओं और अधिकारों से खुलकर खेला जा रहा है। सदस्यों ने आगे कहा कि अब सामान्य वर्ग के लिए भी जरूरी हो गया है कि वे अपने हक और अधिकारों के संघर्ष के लिये एकजुट हों और जिम्मेदारों तक अपनी हक-अधिकार की बात पहुंचाएं। तभी आने वाली पीढ़ी को उचित न्याय व मेहनत का उचित परिणाम मिल पायेगा।
इस दौरान रोहित सिंह आर्य, रामपति दुबे, नोहर सिंह राजपूत, दीपक राठौर, समीर मिश्रा, ब्रिजेश शर्मा, आशा आचार्य, संजय पांडे, सत्येंद्र शुक्ला, जितेंद्र मिश्रा, शिव राजपूत, चंद्रकांत पाणिग्राही, तुलसीराम पांडे, गौरव मुखर्जी, त्रिनाथ पांडे, अविनाश सिंह, संतोष बाजपेयी, सुशील खबारी, केपी आचार्य, सुधीर कुमार दुबे, दिलीप कुमार जाधव, एकता जाधव, करमजीत कौर, खिलावन प्रसाद मिश्र, नवीन शुक्ला, श्रीनिवास तिवारी, होतेंद्री जोशी, संजीव विश्वास, मोहन जोशी, केशराज आचार्य सहित अन्य मौजूद रहे।