कॉलेजियम पर बढ़ेगा टकराव! कानून मंत्री किरेन रिजिजू बोले- सिस्टम में पारदर्शिता की कमी, हमें मिलीं शिकायतें

नई दिल्ली। जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच मतभेद लगातार बढ़ते दिख रहे हैं। कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बार फिर से न्यायपालिकों में जजों की नियुक्ति की व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें ऐसे कई ज्ञापन मिले हैं, जिनमें जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता न होने की शिकायत की गई है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग लोगों ने ज्ञापन देकर नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव होने और समाज के विविध वर्गों को प्रतिनिधित्व न देने की शिकायतें लोगों ने की हैं।
किरेन रिजिजू ने कहा, ‘अलग-अलग पक्षों की ओर से न्यायपालिका में नियुक्तियों में पारदर्शिता के अभाव और अलग-अलग सामाजिक वर्गों को प्रतिनिधित्व न मिलने की शिकायतें की गई हैं। हमें लगातार यह ज्ञापन मिलते रहे हैं कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार किया जाए।’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में जो सुझाव आए हैं, उन्हें हमने उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा है। यही नहीं उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था में सुधार लाने के लिए ही संविधान में 99वां संशोधन किया गया था और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त आयोग लाया गया था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।
किरेन रिजिजू ने कहा कि इस ऐक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अदालत ने न्यायिक नियुक्ति आयोग को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। इसके साथ ही अदालत ने ऐलान कर दिया कि फिलहाल न्यायिक नियुक्ति आयोग की बजाय कॉलेजियम सिस्टम ही जारी रहेगा। यही नहीं जजों की नियुक्ति को लेकर पूछे गए एक और सवाल के जवाब में कानून मंत्री ने कहा कि देश भर के उच्च न्यायालयों से 154 जजों की नियुक्ति की सिफारिशें मिली हैं। इस पर काम जारी है। उन्होंने कहा कि अब भी 179 जजों की रिक्त सीटों पर नियुक्ति के लिए हाई कोर्ट्स से सिफारिशें आना बाकी है।

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