‘मुलाकात से नहीं पड़ेगा कोई फर्क’, महा प्रतिनिधिमंडल के अमित शाह से मिलने पर कर्नाटक के CM का बयान

बेंगलुरु। बेलगावी को लेकर कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले दिनों कर्नाटक में महाराष्ट्र से गए वाहनों पर पत्थरबाजी और तोड़फोड़ के बाद ये विवाद और भी बढ़ गया है। इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा है कि बढ़ते सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र प्रतिनिधिमंडल की अमित शाह से मुलाकात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। बोम्मई ने जोर देते हुए कहा कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी।
सीमा विवाद को लेकर केंद्र का रुख
सीएम बोम्मई के मुताबिक, कर्नाटक के संसद सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल को सीमा मुद्दे के संबंध में अमित शाह से मिलने को कहा गया है। इसके अलावाा सीएम खुद जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करेंगे और सीमा विवाद को लेकर चर्चा करेंगे। उल्लेखनीय है कि सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी से सासंदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने 9 दिसंबर को अमित शाह से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद कर्नाटक के सीएम ने देर रात ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र प्रतिनिधिमंडल के केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। महाराष्ट्र ने पहले भी ऐसा करने की कोशिश की है। मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट में हमारा वैध मामला मजबूत है। हमारी सरकार मामले में कोई समझौता नहीं करेगी।’
सीमा विवाद को लेकर कर्नाटक के सांसद करेंगे शाह से मुलाकात
सीएम बोम्मई ने बताया कि कर्नाटक के सांसद सीमा मुद्दे को लेकर 12 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे। इसके अलावा राज्य के वैध रुख के बारे में सूचित करने के लिए खुद बोम्मई जल्द ही केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात करेंगे। 9 दिसंबर को हुई बैठक के बाद, एनसीपी नेता अमोल कोल्हे, जो महाराष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, ने कहा कि अमित शाह सीमा विवाद पर गुस्सा शांत करने के लिए 14 दिसंबर को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिलेंगे।
क्या है सीमा विवाद मुद्दा
सीमा का मुद्दा 1957 में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के बाद का है। महाराष्ट्र ने बेलगावी पर दावा करते हुए कहा कि इसमें मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा है। महाराष्ट्र ने 814 मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं। कर्नाटक राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 महाजन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, भाषाई आधार पर किए गए सीमांकन को अंतिम रूप देता है।

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