बंगलुरु। बंगलुरु के रहने वाले राजन बाबू को लोग स्व-शिक्षित व्यक्ति के तौर पर जानते हैं. वो एक ऐसे व्यक्ति हैं जो बिना किसी की मदद के खुद पढ़कर शिक्षित हुए हैं. राजन बाबू पहले BITS पिलानी से कंप्यूटर साइंस में एमएससी करके इंजीनियर बने. इसके बाद ISRO में रॉकेट साइंटिस्ट के तौर पर काम किया. अब उन्होंने अपने जीवन का दूसरा ध्येय तय किया है. ये ध्येय है मेडिकल एजुकेशन करके डॉक्टर बनने का. उन्होंने अपना प्रोफेशनल फील्ड अब पूरी तरह बदलने की तैयारी कर ली है।
इसके लिए उन्होंने इस साल नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) में हिस्सा लिया था जो कि उन्होंने पास भी किया. लेकिन राजन बाबू अब दोबारा इस साल फिर से नीट परीक्षा में बैठने की तैयारी कर रहे हैं. इसके पीछे वजह नीट में ज्यादा से ज्यादा स्कोर लाकर किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेकर डॉक्टरी की पढ़ाई करना हे. मजेदार बात यह है कि उनकी बेटी और बेटा दोनों ही पहले से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं, अब उनके साथ वो भी पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहते हैं।
राजन बाबू के अब तक के सफर की बात करें तो उनका जन्म साल 1963 में एक आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ था. पारिवारिक परिस्थितियों के कारण राजन बाबू स्कूल भी नहीं जा सके. जब उनकी उम्र के पड़ोस के बच्चे कक्षाओं में पढाई कर रहे थे तब वो अपने परिवार की जीविका के लिए बिजली के करघे में काम करते थे.उन्होंने छोटी छोटी दुकानों में भी काम करके घर चलाने में मदद की. साल 1981 में उन्होंने अपने एक दोस्त के बताने पर प्राइवेट उम्मीदवार के तौर पर दसवीं की परीक्षा दी. इस परीक्षा के लिए उन्होंने घर पर रहकर खुद से तैयारी की थी।
TOI से बातचीत में बाबू ने बताया कि मैंने अल्फाबेट और पहाड़े की बेसिक लेशन अपनी मां से सीखे. इसके अलावा मैंने सभी विषयों की पढ़ाई अपने आप की. इसके बाद कक्षा दसवीं के अपने रिजल्ट के आधार पर मैंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ज्वाइन किया. साथ ही साथ मैंने साथ ही, माइको बॉश के साथ अलग-अलग कैपेसिटी में काम किया।