अहमदाबाद। गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। बीजेपी ने 99 सीटों के साथ सत्ता हासिल करते हुए सरकार बनाई। वहीं कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं। चुनाव नतीजों की खास बात ये थी कि कांग्रेस ने 33 में से 15 जिलों में बीजेपी से ज्यादा सीटें जीतीं। वहीं बीजेपी 13 जिलों में कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही। पांच जिलों में दोनों पार्टियों के खाते में बराबर-बराबर सीटें आईं। बीजेपी को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में अहमदाबाद की बड़ी भूमिका रही। यहां शानदार प्रदर्शन की बदौलत बीजेपी ने बहुमत हासिल कर लिया। तो क्या अहमदाबाद जीतने का मतलब सीएम बनने की गारंटी है। आइए समझते हैं…
अहमदाबाद में बीजेपी का जबरदस्त स्ट्राइक रेट
अगर सीटों की बात करें तो अहमदाबाद देश का शायद अकेला ऐसा जिला होगा जहां इतनी बड़ी संख्या में विधानसभा सीटें हैं। अहमदाबाद जिले में कुल मिलाकर 21 विधानसभा सीटें हैं। दूसरे नंबर पर सूरत आता है, जहां 16 विधानसभा सीटें हैं। वहीं वडोदरा जिले में 10 सीटें है। यानी इन तीन जिलों को मिलाकर 47 सीटें होती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की युवा तिकड़ी से कड़ी टक्कर मिल रही थी। ऐसे में बीजेपी को अपना किला बचाने के लिए अहमदाबाद में बढ़िया स्ट्राइक रेट की जरूरत थी। नतीजों में यही हुआ और बीजेपी ने यहां की 21 में से 15 सीटों पर कब्जा जमा लिया। जिले की दो तिहाई सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की और उसकी सत्ता बरकरार रहने पर मुहर लग गई। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल एक बार फिर अहमदाबाद की घाटलोडिया सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।’
अहमदाबाद में ये विधानसभा सीटें
वीरमगाम, साणंद, घाटलोडिया, वेजलपुर, वटवा, एलिसब्रिज, नारणपुरा, निकोल, नरोदा, ठक्करबापा नगर, बापूनगर, अमराईवाड़ी, दरियापुर, जमालपुर-खाडिया, मणिनगर, दाणीलीमडा (एससी), साबरमती, असरवा (एससी), दस्करोई, धोलका, धंधुका।
पांच सबसे ज्यादा सीटों वाले जिलों में 47 सीटें मिलीं
2017 में बीजेपी को सत्ता की कुर्सी दिलाने में सूरत और वडोदरा की भी बड़ी भूमिका था। सूरत जिले की 16 में से 15 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। वहीं वडोदरा की 10 में से 8 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। बीजेपी ने नौ सीटों वाले बनासकांठा जिले में तीन और आठ सीटों वाले राजकोट जिले में छह सीटें जीती थीं। यानी पांच सबसे ज्यादा सीटों वाले जिले में बीजेपी ने 64 में से 47 सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस इन जिलों में सिर्फ 16 सीटें ही जीत सकी। ऐसे में अहमदाबाद ने बीजेपी की सत्ता का मार्ग प्रशस्त किया।
2017 में सात जिलों में नहीं खुला था बीजेपी का खाता
गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान एक और दिलचस्प पहलू देखने को मिला था। सात जिले ऐसे थे जहां बीजेपी खाता नहीं खोल पाई थी। इनमें अमरेली, नर्मदा, डांग, तापी, अरावली, मोरबी और गिर सोमनाथ शामिल हैं। पंच महल और पोरबंदर दो ऐसे जिले थे, जहां कांग्रेस का खाता नहीं खुल सका था। अगर क्षेत्रवार बात करें तो सौराष्ट्र-कच्छ में कांग्रेसने बीजेपी को पछाड़ा था। यहां की 54 में से 30 सीटें कांग्रेस ने और 23 सीटें बीजेपी ने जीती थीं। एक सीट अन्य के खाते में गई थी। मध्य गुजरात की 61 सीटों में से बीजेपी ने 37, जबकि कांग्रेस ने 22 सीटें जीती थीं। अन्य को यहां दो सीटें मिली थीं। उत्तर गुजरात की 32 में से 17 सीटें कांग्रेस को और 14 सीटें बीजेपी के हिस्से में आई थीं। एक सीट पर निर्दलीय जिग्नेश मेवाणी को जीत मिली थी, जिन्हें कांग्रेस ने समर्थन दिया था। दक्षिण गुजरात में बीजेपी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी। यहां की 35 में से 25 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। इस इलाके की आठ सीटों पर कांग्रेस और दो पर अन्य को जीत मिली थी।
गुजरात में एक और पांच दिसंबर को मतदान
गुजरात में विधानसभा की 182 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान है। पहले चरण में 89 सीटों पर एक दिसंबर और दूसरे चरण में 93 सीटों पर पांच दिसंबर को वोटिंग है। गुजरात विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आठ दिसंबर को हिमाचल प्रदेश चुनाव के नतीजों के साथ ही घोषित किया जाएगा।