छत्तीसगढ़ में किसान ने खेतों में तालाब का पानी भरने से तंग आकर खाया जहर

हापुड़.

बाबूगढ़ थाना क्षेत्र के गांव छतनौरा में गांव का पानी खेतों में जाने से परेशान युवा किसान मोहित (27) पुत्र वीर ङ्क्षसह ने जहर खा लिया। किसान पिछले नौ महीने से प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष तालाब की भूमि को कब्जा मुक्त कराने की गुहार लगा रहा था। नौ सितंबर को भी परिवार संग आत्मदाह करने की चेतावनी देते हुए शिकायत की थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।

ग्रामीणों के अनुसार गांव निवासी मोहित पुत्र वीर सिंह की गांव से सटी हुई ही पांच बीघा कृषि भूमि है। इस भूमि के बराबर में ही 380 वर्ग मीटर तालाब के लिए सरकारी भूमि है, जिस पर अन्य ग्रामीणों का कब्जा है और यहां गड्ढा खोदकर छोटा तालाब बनाया जाना है। यहां गड्ढा न होने के कारण करीब आधे गांव का गंदा पानी किसान मोहित के खेत में जा रहा था। जिससे उसके खेतों में खड़ी फसल बर्बाद हो रही थी। पिछले नौ माह में वह कई बार जमीन को कब्जा मुक्त कराने और उसके खेत में जा रहे पानी को रुकाने की मांग कर रहा था। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। सात सितंबर को भी पीडि़त ने एसडीएम और पुलिस अधिकारियों से शिकायत की थी, जिसमें उसने कहा था कि उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह परिवार के साथ कलक्ट्रेट पर आत्मदाह करेगा। लेकिन इस शिकायत को भी गंभीरता से नहीं लिया गया। जिससे आहत होकर किसान ने सोमवार दोपहर बाद अपने घर पर खेतों में डालने वाला कीटनाशक पी लिया। हालत गंभीर होने पर उसे सिखैड़ा सीएचसी पर भर्ती कराया गया। जहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे मेरठ रेफर किया गया है।

नहीं हुआ समस्या का समाधान —
ग्रामीणों का कहना है कि पीडि़त की शिकायत के बाद कई बार प्रशासनिक टीम मामले के निस्तारण के लिए गई जरूर, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हुआ। बताया जा रहा है कि राजनीतिक दबाव के कारण टीम द्वारा इस भूमि को कब्जामुक्त नहीं किया गया।

एसडीएम हापुड़ से मामले की शिकायत की –
पीडि़त ने एसडीएम हापुड़ से मामले की शिकायत की थी। आज उन्हें पैमाइश टीम को छतनौरा जाना था, लेकिन कलक्ट्रेट पर चल रहे धरने के कारण वे व्यस्त रहे। सोमवार शाम टीम को मौके पर भेजकर जमीन को जब्जामुक्त कराया जा रहा है।
-संदीप कुमार, एडीएम।

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