10 हजार करोड़ से अधिक का दूसरा अनुपूरक बजट लाएगी सरकार
भोपाल। राज्य की 15वीं विधानसभा का अंतिम शीतकालीन सत्र 19 दिसंबर से होगा। पांच दिवसीय इस सत्र में सरकार वर्तमान वित्तीय वर्ष का दूसरा अनुपूरक बजट पेश करेगी। चुनावी साल में प्रस्तावित निर्माण कार्य को देखते हुए इसके दस हजार करोड़ रुपए से अधिक का रहने का अनुमान है। सत्र के दौरान आधा दर्जन नए व संशोधित अधिनियम भी पेश होंगे। विधानसभा सचिवालय ने रविवार को सत्र बुलाए जाने की अधिसूचना जारी कर दी।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार,सरकार ने 19 दिसंबर से होने वाले शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किए जाने वाले दूसरे अनुपूरक बजट की तैयारी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि यह दस हजार करोड़ रुपये से अधिक का होगा। इसमें अधोसंरचना विकास के कार्यों के लिए प्राथमिकता के आधार पर विभागों को अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई जाएगी। दरअसल,सरकार अगले वित्तीय वर्ष के प्रस्तावित निर्माण कार्यों के लिए राशि का प्रावधान अनुपूरक बजट में करने के पक्ष में है ताकि तकनीकि आधार पर निर्माण कार्य शुरू करने में विलंब न हो।
इसका एक लाभ यह होगा कि जून से पहले ही सरकार प्रस्तावित कार्यों के लिए शिलान्यास व भूमि पूजन कर इनकी शुरुआत कर सकेगी। इसके बाद आचार संहिता के दौरान भी इन कार्यों को किया जा सकेगा। दरअसल,नए बजट से निर्माण कार्यों के लिए राशि मिलने में तीन से चार माह का विलंब होता है। शीतकालीन के बाद विधानसभा का अगला सत्र बजट का ही होगा,लेकिन यह फरवरी-मार्च में संभावित है। इसके बाद सिर्फ पावस सत्र की गुंजाइश रहेगी। अगले साल नवंबर में 16वीं विधानसभा के चुनाव होने की स्थिति में नई सरकार का गठन दिसंबर में होगा। इस तरह,आगामी सत्र को 15वीं विधानसभा का अंतिम शीतकालीन सत्र माना जा रहा है।
ये अधिनियम होंगे पेश
सूत्रों के अनुसार, अगले माह प्रस्तावित शीतकालीन सत्र में आधा दर्जन महत्वपूर्ण अधिनियम पेश होने के भी आसार हैं। इनमें नगरीय विकास एवं आवास विभाग किराएदारी अधिनियम,भीड़ वाले क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरे लगाने व बिजली के पर्याप्त प्रबंध के लिए लोक सुरक्षा अधिनियम, आनलाइन गेम्स पर नियंत्रण संबंधी विधेेयक प्रस्तावित हैं। सत्र के अंतिम दिन 23 दिसंबर शुक्रवार को अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किए जाएंगे।
अध्यक्ष को सीधे न भेजें सूचना
विधानसभा सचिवालय ने सदस्यों को पत्र लिखकर कहा है कि कार्य संचालन नियम के अनुसार कोई भी सूचना विधानसभा सचिवालय को दी जाए। अभी देखने में यह आया है कि कई सदस्य अध्यक्ष को संबोधित करते हुए सूचनाएं देते हैं जो नियमानुसार सही नहीं है। डाक से भी सूचनाएं भेजी जा सकती हैं। सत्र के दौरान ऐसा कोई विषय भी नहीं उठाया जाएगा, जो न्यायालय में विचाराधीन हो।