भोपाल। कामकाज को लेकर लगातार निष्क्रियता बरतने वाले अधिकारियों की सरकार एक बार फिर छंटनी करेगी। इसके लिए अगले माह एक अहम बैठक बुलाई गई है। इसमें 20 साल की सेवा या अधिकतम 50 वर्ष की आयु के आधार पर नौकरी के लिए अपात्र हुए अधिकारियों को सेवा से मुक्त किए जाने संबंधी निर्णय लिया जाएगा। सरकार इसी आधार पर पहले भी कुछ अधिकारियों की सेवाएं समाप्त कर चुकी है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार,राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों से ऐसे अपात्र अधिकारियों की जानकारी तलब की है। इनके सर्विस रिकॉर्ड का परीक्षण कर प्रतिवेदन तैयार कर विभाग सरकार को सौंपेगा। इसके लिए जीएडी ने सभी विभाग प्रमुखों को छानबीन समिति की बैठक कर अपनी टीप के साथ प्रस्ताव भेजने को कहा है। छानबीन समिति अधिकारियों-कर्मचारियों के सेवा अभिलेखों का परीक्षण करती है। इसमें यह देखा जाता है कि सेवाकाल कैसा रहा है। आर्थिक अनियमितता, पद के दुरुपयोग सहित अन्य किसी शिकायत के कारण दंडित तो नहीं किया गया है। इस आधार पर समिति की अनुशंसा पर सरकार निर्णय लेती है। राज्य सेवा के अधिकारियों के संबंध में प्रस्ताव मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद राज्य लोक सेवा आयोग और अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के संबंध में केंद्र सरकार के माध्यम से संघ लोक सेवा आयोग को भेजे जाते हैं।
पहले भी हटाए गए ये अधिकारी
पूर्व में आइएएस अधिकारी एमके सिंह, आइपीएस अधिकारी डा. मयंक जैन, आइएफ एस अधिकारी देवेश कोहली को अनिवार्य सेवानिवृत्ति इसी आधार पर दी जा चुकी है। डा. मयंक जैन ने इस निर्णय के विरुद्ध प्रशासनिक अधिकरण में अपील की है, जो विचाराधीन है। जबकि जिला खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना को भी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा चुकी है। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी विभाग प्रमुखों को इस बारे में दिशा निर्देश दिए थे। इसके आधार पर संबंधित विभागों की छानबीन समितियों ने अपने प्रस्ताव भी तैयार कर लिए हैं।
इन पर भी होगी कार्रवाई
इधर,मुख्यमंत्री के निर्णयों व निर्देशों को गंभीरता से न लेते हुए इनक ी नोटिंग में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई के संकेत हैं। बताया जाता है कि निचले स्तर के कुछ कर्मचारी इस मामले में लगातार लापरवाही बरतते रहे हैं।