भोपाल। प्रदेश में दखरहित भूमियों के संबंध में भू उपयोग, प्रयोजन, निस्तार की की मद या नोइयत के विषय में विवाद खसरे की प्रविष्टियों के आधार पर आसानी से निपटाए जा सकेंगे। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए है कि विवादों की स्थिति में खसरे की कौन सी प्रविष्टि का किस रुप में उपयोग किया जाए। ये नियम पूरे प्रदेश में एक समान आधार पर उपयोग किए जाएंगे। इससे खसरे की प्रविष्टियों के उपयोग को लेकर भ्रम की स्थिति नहीं रहेगी।
खसरे में अंकित प्रविष्टियों को लेकर बार-बार जिलों से जानकारियां मांगी जाती है कि खसरे की प्रविष्टियों के आधार पर विवादों की स्थिति में कौन सी प्रविष्टि मान्य की जाए। इसके लिए सभी को एक समान नियमों का पालन करते हुए खसरे की प्रविष्टियों के आधार पर भूमि उपयोग को किस तरह मान्य करना है यह प्रमुख सचिव ने स्पष्ट करते हुए कलेक्टरों को आगे इसी तरह इन प्रविष्टियों का आंकलन करने को कहा है।
खसरे में पहले कालम में बंदोबस्त के समय, नक्शे में नियत किए गए क्रमांक को खसरा क्रमांक के रुप में और बंदोबस्त के समय, नक्शे में नियत किए गए क्रमांक को खसरा क्रमांक के रुप में उपयोग किया जाएगा। बंदोबस्त के बाद यदि जमीन का उपविभाजन किया जाता है तो ऐसे उपविभागजन के प्रत्येक भूखंड के लिए अलग-अलग क्रमांक अंकित किये गए है। कालम दो में खसरे का कुल क्षेत्रफल और उस पर उपयोग अनुसार निर्धारित भू राजस्व और नाईयत (मालिकाना हक) अंकित की जाती है।
गांव से नगर में आई जमीनों के मामले में इस तरह फैसला
गांव से नगरीय क्षेत्र की सीमाओं में आने वाली जमीनों के विषय में ग्राम के खसरे में निस्तार की मद दर्ज रही जमीन को भूराजस्व संहिता, दखिल रहित भूमि और वाजिब उल अर्ज नियम के अनुसार नगरीय क्षेत्र के लिए भी इन प्रयोजनों के लिए तब तक पृथक रखी जाएंगी जब तक की कलेक्टर द्वारा इन जमीनों के उपयोग को लेकर अगला आदेश पारित नहीं किया जाता।