एनएमडीसी ने जिला प्रशासन की कार्रवाई को बताया अनुचित, कहा – तथ्यों व परिस्थितियों की हुई अनदेखी

रायपुर । एनएमडीसी पर दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा भारी भरकम जुर्माना लगाए जाने के बाद एनएमडीसी प्रबंधन ने इस मामले में अपनी सफाई पेश की है। प्रबंधन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि इस मामले में तथ्यों और परिस्थितियों पर पर विचार किये बिना जुर्माना लगा कर नोटिस जारी कर दिया गया, जो उचित नहीं है।

उल्लेखनीय है कि दंतेवाड़ा कलेक्टर ने नोटिस जारी कर एनएमडीसी, किरंदुल पर 1620 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। खनिज निरीक्षक के प्रतिवेदन के बाद एनएमडीसी प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। प्रशासन के मुताबिक नोटिस पर एनएमडीसी ने जो जवाब दिया था वह संतोषजनक नहीं रहा।

इस बीच, एनएमडीसी के उच्च प्रबंधन ने संयत्र पर जुर्माना लगाने और मुआवजे की कार्यवाही को पूरी तरह अनुचित बताया है। यह विशेष रूप से कहा गया है कि जिला प्राधिकरण, दंतेवाड़ा द्वारा कारण बताओ नोटिस में लगाए गए किसी भी परिवहन मात्रा उल्लंघन को निम्नलिखित तथ्यों के साथ सह-संबंधित किया जाना चाहिए –

1) एनएमडीसी लिमिटेड भारत सरकार के पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से वैध खनन पट्टे, अनुमोदित खनन योजना, सीटीओ, सीटीई, पर्यावरण मंजूरी और वन मंजूरी के साथ प्रचालन कर रहा है।

2) छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन एवं भंडारण) नियम, 2009 के नियम 2, उप नियम 1 (डी) के अनुसार निक्षेपवार, ग्रेडवार और उत्पादवार अग्रिम रॉयल्टी का भुगतान किरंदुल कॉम्प्लेक्स, एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा खनिज के माध्यम से किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार को ऑनलाइन पोर्टल और अग्रिम रॉयल्टी के भुगतान के बाद, ई-परमिट नंबर जेनरेट किए जा रहे हैं।

3) चूंकि एनएमडीसी उपरोक्त उल्लिखित बिंदु क्रमांक 2 के अनुसार अग्रिम रॉयल्टी भुगतान कर रहा है, इसलिए बीआईओएम किरंदुल कॉम्प्लेक्स ने रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के बिना लौह अयस्क के कथित परिवहन के लिए छत्तीसगढ़ खनिज (खनन, परिवहन और भंडारण) नियम 2009 का कोई उल्लंघन नहीं किया है।

4) राज्य सरकार रॉयल्टी मूल्यांकन के समय हर छह महीने में इन अभिलेखों का सत्यापन करती है और राज्य सरकार द्वारा अब तक एक भी आपत्ति नहीं उठाई गई है, जिससे जानकारी मिलती है कि बीआईओएम किरंदुल कॉम्प्लेक्स द्वारा कोई उल्लंघन नहीं किया गया है।

5) तकनीकी रूप से, लौह अयस्क ग्रेड को अंतिम रूप देने में समय लगता है, जिससे रेलवे ट्रांजिट पास (आरटीपी) के निर्माण में 2-3 दिनों की देरी होती है। हालाँकि, इससे राज्य के खजाने को कोई नुकसान नहीं होता है।

6) एनएमडीसी इस संबंध में जिला कलेक्टर, दंतेवाड़ा को उपयुक्त जवाब प्रस्तुत कर रहा है।

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