को यानी टास्क के लिए हरदम तैयार बनाने की दिशा में एक और अहम कदम उठाया जा रहा है। अब इंडियन आर्मी के गन से लेकर टैंक तक, ड्रोन से लेकर नाइट विजन डिवाइस तक और छोटे हथियारों से लेकर बड़े वीइकल तक की जानकारी एक क्लिक में मिल सकेगी। आर्मी के सारे हथियारों से लेकर इक्विपमेंट तक की रखरखाव करने वाले वर्कशॉप को ऑटोमेटेड किया जा रहा है। साथ ही इन्हें ऐसे सिस्टम से जोड़ने पर काम शुरू किया गया है जिससे रियल टाइम में यह पता लग सकेगा कि किस वर्कशॉप में कितने इक्विपमेंट हैं और कब कितने इक्विपमेंट को मेंटिनेंस की जरूरत होगी।
30 लाख से ज्यादा इक्विपमेंट्स की जानकारी
इंडियन आर्मी की इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड मकैनिकल इंजिनियर्स कोर (EME) आर्मी के वेपन सिस्टम और इक्विपमेंट के डिजाइन, डिवेलपमेंट, ट्रायल से लेकर इन्सपेक्शन तक की जिम्मेदारी देखती है। वेपन सिस्टम और इक्विपमेंट को रिपेयर से लेकर उसे रिकवर करने की जिम्मेदारी इस कोर की है।
इस कोर की देश भर में 2000 से ज्यादा वर्कशॉप हैं। जिसमें सेना के लिए सामान पहुंचाने वाले लोड कैरियर, टैंक, जेसीबी, 105 एमएम की गन से लेकर एम-777 तक, एयर डिफेंस इक्विपमेंट, रडार, ड्रोन, कॉडकॉप्टर्स, कम्युनिकेशन इक्विपमेंट, छोटी रेंज के रेडियो सेट से लेकर बड़ी रेंज तक के रेडियो सेट, मिसाइल सिस्टम, छोटे हथियारों से लेकर नाइट विजन डिवाइस तक सब का रखरखाव किया जाता है और जरूरत होने पर अपग्रेड किया जाता है। सब मिलाकर 2000 से ज्यादा टाइप के 30 लाख से ज्यादा इक्विपमेंट्स हैं। जिन्हें इंडियन आर्मी के लिए ईएमई मेनटेन करती है।
सभी वर्कशॉप की जानकारी एक साथ
आर्मी के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक ईएमई ने प्रॉजेक्ट बीहाइव शुरू किया है। इसमें सभी वर्कशॉप का पूरा डेटा रियल टाइम अपडेट होगा और उसे ब्रिगेड लेवल से आर्मी हेडक्वॉर्टर तक में देखा जा सकेगा। रियल टाइम में देख पाएंगे कि कितने इक्विपमेंट वर्कशॉप में हैं। इसके लिए 8 मॉड्यूल तय किए गए हैं। पहला मॉड्यूल पूरा हो गया है और दूसरे पर काम चल रहा है। सारे तय मॉड्यूल पूरे होने पर आर्मी की यूनिट स्तर पर इक्विपमेंट्स की जानकारी बटालियन स्तर पर, बटालियन में जो भी होगा वह डिविजन स्तर पर, डिविजन का डिटेल कोर स्तर पर और कोर की सारी डिटेल कमांड स्तर पर देख पाएंगे।
दिल्ली स्थिति आर्मी हेडक्वॉर्टर में सभी डीटेल होंगी। यह एक क्लिक में पता होगा कि कितने इक्विपमेंट्स किस वक्त में किसी भी ऑपरेशन के लिए पूरी तरह फिट हैं। इसके लिए अगले साल 15 अक्टूबर तक की डेडलाइन रखी गई है। इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड मकैनिकल इंजिनियर्स कोर के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कपूर ने बताया कि ऑटोमेशन से अनैलिसिस भी आसान होगी और एक क्लिक में यह पता होगा कि किन इक्विपमेंट्स का मेंटिनेंस चल रहा है और आगे के दिनों में कब किसके मेंटिनेंस की जरूरत है। इससे टास्क बेहतर तरीके से करने में मदद मिलेगी और फैसले लेने में तेजी आएगी।
साइबर सिक्यॉरिटी चुनौती
जब आर्मी के सारे इक्विपमेंट की जानकारी एक क्लिक में आ जाएगी तो इसे सुरक्षित रखना भी एक चुनौती होगी। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कपूर ने कहा कि हम इसका भी ध्यान रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरा सिस्टम साइबर सिक्योर होगा और इस पर काम किया जा रहा है। आर्मी के एक अधिकारी के मुताबिक जब यह ऑटोमेटेड सिस्टम तैयार हो जाएगा तो इसे आर्मी साइबर ग्रुप को देंगे ताकि वह देख सकें कि यह साइबर सेफ है। इसके बाद ही इसे शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ वक्त बाद जब काफी डेटा एकत्र हो जाएगा तो इसकी मदद से हम प्रिडक्टिव अनैलिसिस भी कर सकते हैं। किस तरह के इक्विपमेंट कहां फेल हुए, कहां दिक्कत आई, कौन से इलाके में क्या इक्विपमेंट कैसे चलता है और वहां कौन सा इक्विपमेंट ज्यादा सफल है, यह सब इसके जरिए पता लगाया जा सकेगा।
Source: National