ढाका
बांग्लादेश में इस महीने की शुरुआत में एक बड़े छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हसीना को ढाका से भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी। भारत पहुंचने के कुछ दिन ही मीडिया में आए उनके एक कथित बयान में कहा गया कि अगर उन्होंने अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप दे दिया होता तो आज भी वे बांग्लादेश की सत्ता में होतीं। हालांकि, अमेरिका में रह रहे उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय ने इसका खंडन किया और कहा कि उनकी मां हसीना ने ऐसा बयान नहीं दिया है। लेकिन इतने से बात खत्म नहीं होती, बांग्लादेश में हुई इस बड़ी उथल-पुथल से तीन महीने पहले शेख हसीना ने सार्वजनिक रूप दावा किया था कि विदेशी ताकत की बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप पर नजर है। हसीना ने तब बताया था कि उस देश की तरफ से ये कहा गया है कि अगर वे द्वीप को सौंप देती हैं तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी।
उस समय हसीना ने देश का नाम नहीं लिया था लेकिन ये साफ तौर पर अमेरिका की तरफ इशारा था। दरअसल, बंगाल की खाड़ी में अमेरिका लंबे समय से अपना सैन्य अड्डा बनाने की इच्छा पाले हुए है। इसके लिए उसकी नजर बांग्लादेश के सबसे दक्षिणी हिस्से पर स्थित सेंट मार्टिन द्वीप है। अब हसीना के जाने के करीब 20 दिन के भीतर ही अमेरिका के प्रतिष्ठित यूएस नेवल इंस्टीट्यूट की कार्यवाही पत्रिका में एक लेख छपा है, जिसमें बांग्लादेश के पास अमेरिकी नौसेना के लिए अड्डे के महत्व पर जोर दिया गया है।
अमेरिकी नौसेना के लिए खास है बांग्लादेश
ढाका यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लेक्चरर तनवीर अहमद और पृथु बिस्वास के इस लेख में बंगाल की खाड़ी के सिरे पर स्थित बांग्लादेश को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक बताया गया है। लेख में कहा गया है कि बांग्लादेश अमेरिकी नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण रसद नोड हो सकता है। यह व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लेख में बताया गया है कि बांग्लादेश के पास एक जीवंत जहाज निर्माण उद्योग है और इसकी नौसेना के स्वामित्व वाली मरम्मत सुविधाएं किसी भी संघर्ष के दौरान अमेरिकी नौसेना की संपत्तियों का समर्थन कर सकती हैं। इसके अलावा इसके नौसैनिक अड्डों का इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना लक्ष्यों का समर्थन करने वाले नाकाबंदी अभियानों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
बांग्लादेश की रणनीतिक स्थिति
बांग्लादेश के प्राथमिक नौसैनिक अड्डे म्यांमार के रखाइन क्षेत्र और चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे (CMEC) पर नजर रखते हैं, जो चीन की बेल्ट और रोड पहल का एक प्रमुख हिस्सा है। बांग्लादेश की नौसेना के साथ सहयोग करते हुए अमेरिकी नौसेना उन ठिकानों का उपयोग चीनी परियोजनाओं का निरीक्षण करने के लिए कर सकती है। इसके अलावा बंगाल की खाड़ी के शीर्ष पर बांग्लादेश की रणनीतिक सहूलियत अमेरिका को मलक्का जलडमरूमध्य की रक्षा करने में लाभ प्रदान कर सकती है, जो चीनी अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। वैश्विक समुद्री तेल शिपमेंट का एक बड़ा हिस्सा हिंद महासागर क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिसमें जापान, कोरिया और फिलीपींस जैसे अमेरिकी सहयोगी शामिल हैं। इस क्षेत्र में सुरक्षा बनाए रखना न केवल बांग्लादेश और उसकी अर्थव्यवस्था के लिए बल्कि अमेरिकी नौसेना के लिए भी आवश्यक है।
बांग्लादेश की नौसेना
बांग्लादेश के पास इस क्षेत्र में एक मध्यम रूप से शक्तिशाली नौसेना और नौसैनिक अड्डे हैं। बांग्लादेश की नौसेना ने हाल के वर्षों में तेजी से आधुनिकीकरण किया है, जिससे उसकी क्षमता बढ़ी है। बांग्लादेश ने चीन से पनडुब्बियां खरीदकर अपनी समुद्री सुरक्षा क्षमता में वृद्धि की है। 2016 में बांग्लादेश को चीन से दो मिंग-क्लास पनडुब्बियां मिलीं। बांग्लादेश पनडुब्बी बर्थिंग और विमानन सुविधाओं के साथ एक नौसैनिक अड्डे के निर्माण की प्रक्रिया में भी है, जो चीनी सहायता और ऋण के साथ अपनी समुद्री क्षमताओं को और बढ़ा रहा है। लेख में बताया गया है कि पश्चिमी प्लेटफॉर्म और वित्तपोषण तक पहुंच की कमी के कारण ही बांग्लादेश को चीन से पनडुब्बियां खरीदनी पड़ी हैं। अगर सही फंडिंग, तकनीक और प्लेटफॉर्म समर्थन की पेशकश की जाती है, तो बांग्लादेश आधुनिक पश्चिमी डीजल-संचालित पारंपरिक हमलावर पनडुब्बियों के लिए एक संभावित उम्मीदवार हो सकता है।
इसमें यह भी बताया गया है कि किसी भी संभावित संघर्ष के दौरान बांग्लादेश के नौसैनिक अड्डे रसद के लिए एक केंद्र और अमेरिकी नौसेना के लिए एक सुरक्षित बंदरगाह हो सकते हैं। अमेरिका के पास वर्तमान में बंगाल की खाड़ी में कोई अड्डा नहीं है। बांग्लादेश अपनी जनशक्ति, जीवंत जहाज निर्माण उद्योग और एक पेशेवर नौसेना के साथ अमेरिकी नौसेना के जहाजों को आराम, स्वास्थ्य लाभ और पुनः शस्त्रीकरण के लिए एक स्थान प्रदान कर सकता है। बांग्लादेश इस समय कॉक्स बाजार के मातरबारी में एक गहरे बंदरगाह का निर्माण कर रहा है। इसमें जापान मदद कर रहा है, जो एशिया में अमेरिका का सबसे भरोसेमंद सहयोगी है। जापान इन दोनों देशों के बीच एक पुल बनाने में मदद कर सकता है। यह बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में चीन के खिलाफ अमेरिका को लाभ प्रदान करेगा।