वाशिंगटन
अमेरिकी सरकार ने लगभग 52.8 मिलियन डॉलर (443 करोड़ रुपये) की एंटी-सबमरीन वारफेयर (एएसडब्लू) सोनोब्वाय और उससे संबंधित उपकरणों की भारत को प्रस्तावित बिक्री को मंजूरी दे दी है। बता दें कि ये सोनोब्वाय भारतीय नौसेना में शामिल किए जा रहे मल्टी-मिशन एमएच-60आर सीहॉक हेलीकॉप्टरों में तैनात की जाएगी। बाइडेन प्रशासन ने अमेरिकी संसद को एक नोटिफिकेशन भेजा है। इसमें कहा गया है कि प्रस्तावित बिक्री द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने और एक प्रमुख रक्षा साझेदार, भारत की सुरक्षा में सुधार करने के लिए है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि प्रस्तावित बिक्री भारत के एमएच-60आर हेलीकॉप्टरों की क्षमता को बढ़ाएगी। इसके अलावा, ये “वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने” की क्षमता में भी सुधार करेगी।
बता दें कि इस साल मार्च में नौसेना ने कोच्चि में आईएनएस गरुड़ पर हेलफायर मिसाइलों, एमके-54 टॉरपीडो और सटीक मार करने वाले रॉकेटों से लैस छह सबमरीन-हंटर एमएच-60आर सीहॉक हेलीकॉप्टरों के अपने पहले स्क्वाड्रन को शामिल किया था। अगले साल तक, भारत 24 हेवी-ड्यूटी सीहॉक हेलीकॉप्टरों को शामिल करने की योजना बना रहा है। ये फरवरी 2020 में अमेरिका के साथ किए गए 15,157 करोड़ रुपये के कॉन्ट्रैक्ट के तहत मल्टी-मोड रडार और नाइट-विजन डिवाइस से भी लैस हैं।
अमेरिका की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने अपने एक बयान में कहा है कि एंटी सबमरीन वारफेयर सोनोब्वाय भारत को बेचने के लिए विदेश मंत्री ने संभावित विदेशी सैन्य खरीद को मंजूरी दे दी है। भारत सरकार ने अमेरिका से AN/SSQ-53G हाई एल्टीट्यूड एंटी सबमरीन वारफेयर (HAASW) सोनोब्वाय, AN/SSQ-62F HAASW सोनोब्वाय, AN/SSQ-36 सोनोब्वाय, टेक्निकल और पब्लिकेशंस एवं डाटा डॉक्यूमेंटशन, कॉन्ट्रैक्टर इंजीनियरिंग, टेक्निकल सपोर्ट, लॉजिस्टिक, सर्विस एवं सपोर्ट की खरीद करने का अनुरोध किया था।
एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW) सोनोब्वाय एक प्रकार के सोनार उपकरण होते हैं जो पानी के अंदर दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इन्हें हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर से समुद्र में गिराया जाता है, जहां ये पानी के नीचे ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करके पनडुब्बियों की स्थिति का पता लगाते हैं। इनका इस्तेमाल नौसैनिक अभियानों में पनडुब्बियों को ढूंढने और उन्हें नष्ट करने के लिए किया जाता है। ASW सोनोब्वाय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं, जो समुद्र में दुश्मन की पनडुब्बियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।