उत्तराखंड सरकार ने स्वच्छता’ बनाए रखने प्रदेश में एंट्री करने वाले वाहनों में डस्टबिन अनिवार्य रूप से रखने के निर्देश दिए

देहरादून

देशभर से उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए जरूरी खबर है। अब से उत्तराखंड की सीमा में एंट्री करने वाले सभी वाहनों में डस्टबिन (कूड़ेदान) या कचरा बैग रखना अनिवार्य हो गया है। इस नियम का पालन नहीं करने वाले लोगों के चालान भी काटे जाएंगे।

उत्तराखंड सरकार ने गुरुवार को राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों में डस्टबिन और कचरा बैग रखना अनिवार्य करने के नियम को सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए हैं, ताकि राज्य की प्राकृतिक स्वच्छता को बनाए रखा जा सके।

उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि वाहनों के लिए ट्रिप कार्ड जारी करने से पहले यह सुनिश्चित किया जाए कि उनमें डस्टबिन या कूड़ा-कचरा जमा करने वाले बैग लगे हुए हैं या नहीं। इससे पर्यटकों, टूर ऑपरेटर, ट्रैवल एजेंसी और वाहन चालकों की स्वच्छता के प्रति जिम्मेदारी तय होगी।

इस संबंध में उत्तराखंड परिवहन विभाग ने हाल ही में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के परिवहन आयुक्तों को पत्र लिखकर सूचित कर दिया गया है कि चारधाम यात्रा के दौरान राज्य में आने वाले वाहनों के लिए डस्टबिन और कचरा बैग रखना अनिवार्य है, ताकि यात्री सड़कों पर कूड़ा न फैला सकें।

मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड में आने वाले वाहनों की जांच की जाए और अगर उनमें डस्टबिन या कचरा बैग नहीं हैं तो उनके चालान काटे जाएं। मुख्य सचिव ने कहा कि टूर ऑपरेटरों, ट्रैवल एजेंसियों, ड्राइवरों और आम जनता को इस नियम के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए।

उत्तराखंड एक पर्यटन राज्य है। राज्य की प्राकृतिक स्वच्छता को बनाए रखना और इसके पर्यावरण की रक्षा करना इसके निवासियों की सामूहिक जिम्मेदारी है। राधा रतूड़ी ने कहा, "हर साल लाखों पर्यटक और श्रद्धालु राज्य में आते हैं।"

स्वच्छता पर्यटकों-श्रद्धालुओं की सामूहिक जिम्मेदारी

उन्होंने आगे कहा कि पर्यटन प्रदेश होने के कारण राज्य की प्राकृतिक स्वच्छता बनाए रखना और पर्यावरण का संरक्षण उत्तराखंड के निवासियों के साथ ही लाखों की संख्या में आने वाले पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं की सामूहिक जिम्मेदारी है. बता दें कि उत्तराखंड आने वाले अधिकतर श्रद्धालु गंदगी फैलाते हैं और इसी को लेकर उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने यह फैसला लिया है, अब देखना ये है कि उनका यह फैसला देवभूमि में कितना कारगर होगा.

 

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