संशय बरकरार
परम्परा विधायक को मुख्य अतिथि बनाने की रही, पर इस बार टूटने की अटकलें
बिलासपुर। पुलिस ग्राउंड में होने वाले दशहरा उत्सव को लेकर शहर की राजनीति गरमा गई है। नगर निगम ने वित्तीय संकट का हवाला देते हुए जैसे ही इस बार आयोजन नहीं करने की घोषणा सार्वजनिक की, इसे भाजपा ने तुरंत लपक लिया और अनुमति मांगी। इधर कांग्रेस के भीतर ही विरोध के स्वर उठने लगे कि भाजपा इस मौके का फायदा उठाने जा रही है। शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तक पहुंच गई। अब महापौर कह रहे हैं कि उत्सव स्थगित करने का कोई फैसला ही नहीं लिया गया था, तैयारी जोर-शोर से चल रही है। पर मुख्य अतिथि कौन होगा, इस पर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है।
सारा विवाद नगर निगम के सभापति नजीरुद्दीन के दो दिन पहले दिए गए बयान से शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि वित्तीय संकट के चलते इस बार पुलिस ग्राउंड में पारंपरिक रावण दहन कार्यक्रम नहीं रखने का फैसला लिया गया है। जैसे ही उनका बयान आया पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और उनके समर्थक सामने आ गए। अग्रवाल ने बयान दिया कि दशहरा जैसे महत्वपूर्ण उत्सव के लिए पैसे नहीं होने की बात करना लोगों की आस्था से खिलवाड़ है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि भाजपा पार्षद दल को दशहरा उत्सव मनाने की अनुमति दी जाए। सरकार कंगाल हो चुकी है और संस्कृति तथा लोक परंपरा के संरक्षण का दावा करती है।
यही नहीं नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष अशोक विधानी ने कलेक्टर के समक्ष पुलिस ग्राउंड में दशहरा आयोजित करने की अनुमति के लिए आवेदन भी लगा दिया।
दशहरा उत्सव स्थगित करने के फैसले को जैसे ही भाजपा ने राजनीतिक मुद्दा बनाया कांग्रेस सतर्क हो गई। विधायक शैलेष पांडेय कल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पंडरिया में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। विधायक ने बताया कि उन्होंने सीएम से आग्रह किया कि आयोजन की परम्परा जारी रखनी चाहिए। सीएम ने इसके बाद कलेक्टर से चर्चा की। अब हर साल की तरह पुलिस ग्राउंड में दशहरा उत्सव मनाने की तैयारी शुरू हो गई है।
महापौर रामशरण यादव ने इस विवाद पर कहा कि दशहरा उत्सव रद्द करने के बारे में सभापति ने क्या कहा, वे ही बता सकते हैं। दशहरा उत्सव स्थगित करने का कोई फैसला ही नहीं लिया गया था। ऐसे में भाजपा पार्षद दल के आवेदन पर कोई विचार करने की स्थिति भी पैदा नहीं होती।
नगर निगम की ओर से दशहरा उत्सव सन् 1996 से मनाया जा रहा है। तत्कालीन महापौर राजेश पांडेय ने इसे शुरू कराया तब स्व. बीआर यादव मंत्री व शहर के विधायक थे। उस समय से परंपरा बन गई कि इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक ही होते हैं। सन् 2019 में अजीब स्थिति बन गई थी जब महापौर पद पर भाजपा के किशोर राय थे और विधायक कांग्रेस के शैलेष पांडेय। उस वक्त विधायक को मुख्य अतिथि बनाया जाए या नहीं इस पर काफी विवाद हुआ। मेयर इन कौंसिल की बैठक बुलाकर इसमें बदलाव की कोशिश चल रही थी, पर बैठक नहीं हुई। आखिरकार शैलेष पांडेय को मुख्य अतिथि बनाया गया, लेकिन उनके साथ सांसद अरुण साव व अन्य भाजपा विधायकों को भी प्रमुख अतिथियों के रूप में मंच पर बुलाकर संतुलन बिठाया गया। इसके बाद कोविड संक्रमण के कारण आयोजन नहीं हुआ।
कांग्रेस में इस समय दो धड़े हैं। एक पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव का तो दूसरा शैलेष पांडेय का। नगर निगम के सभापति का बयान आने के बाद चर्चा यही होने लगी कि चूंकि दूसरा खेमा इस महत्वपूर्ण आयोजन में शैलेष पांडेय को मुख्य अतिथि नहीं बनाना चाहता, इसलिए आयोजन ही रद्द किया जा रहा है। हालांकि महापौर ने इसे सिर्फ अटकलबाजी बताया। यह पूछे जाने पर कि क्या विधायक हर बार की तरह इस बार भी मुख्य अतिथि बनाए जा रहे हैं, उन्होंने कहा- इसे सस्पेंस रहने दीजिए। एक दो दिन में आपको पता चल जाएगा।
लोगों में इस बात को लेकर भारी उत्सकुता है कि आयोजन में किसे मंच मिलेगा।