नई दिल्ली। कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद का चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। अब सामने आया है कि दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे। वह जल्द ही चुनाव के लिए नामांकन भरेंगे। फिलहाल दिग्विजय सिंह राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में हिस्सा ले रहे थे. अब वह आज रात तक दिल्ली वापस आएंगे. फिर कल वह नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
इससे पहले तक कांग्रेस मुखिया के चुनाव की रेस में शशि थरूर और अशोक गहलोत का नाम सामने आ रहा था, लेकिन राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के भीतर मचे बवाल के बाद अशोक गहलोत के चुनाव लड़ने पर संशय बना हुआ है। दूसरी तरफ शशि थरूर की उम्मीदवारी पक्की मानी जा रही है। वह 30 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव के लिए नामांकन करने वाले हैं। वैसे, चुनाव के लिए जितने भी उम्मीदवार होंगे सब 30 सितंबर को ही नामांकन कर पाएंगे, क्योंकि चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर मधुसूदन मिस्त्री कल दिल्ली में नहीं होंगे।
कुछ और नामों पर भी है चर्चा
थरूर, गहलोत के अलावा अध्यक्ष पद की रेस में मुकुल वासनिक, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल का नाम भी सामने आ रहा था। इस लिस्ट में दिग्विजय सिंह का भी नाम था, जो अब पक्का हो गया है।
दिग्विजय सिंह का पलड़ा कितना भारी ?
दिग्विजय के पास लंबा संगठनात्मक और प्रशासनिक अनुभव है. वह दो बार मध्यप्रदेश के सीएम रहे हैं. उनकी गिनती गांधी परिवार के वफादारों में होती है। कांग्रेस फिलहाल संघ और उनके हिंदुत्व के खिलाफ आवाज बुलंद कर रही है। इन्हीं के खिलाफ दिग्विजय सिंह भी लंबे वक्त से मुखर होकर बात करते रहे हैं। खामियों की बात करें तो 2019 में दिग्विजय सिंह खुद 2019 में भोपाल से चुनाव हार गए थे. बयानों की उनकी मुखरता कुछ मौकों पर बैकफायर भी कर देती है, जिससे पार्टी को भी कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। मौजूदा दौर में दिग्विजय का जनसमर्थन भी सिमटता दिखता है। परिवारवाद के आरोपों का सामना भी दिग्विजय कर रहे हैं. उन पर बेटे और भाई को राजनीति में सेट करने के आरोप लगते रहे हैं।
जानिए थरूर के बारे में
थरूर केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद हैं। चुनाव में शशि थरूर का नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है। करिश्माई व्यक्तित्व वाले थरूर तीन बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। देश के साथ-साथ विदेश में थरूर की पहुंच है। संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर भी कुछ प्रोजेक्टस पर काम कर रहे हैं. मंत्री के तौर पर थरूर ने काम किया है इसलिए उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है। दूसरी तरफ थरूर के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि वह असंतोष धड़े जी-23 का हिस्सा थे। गहलोत जबतक फ्रेम में थे, तबतक माना जा रहा था कि थरूर को इस चुनाव में गांधी परिवार का समर्थन नहीं मिलेगा क्योंकि उनकी पसंद गहलोत हैं. पार्टी में वह ज्यादा पुराने भी नहीं है। 2009 में ही थरूर कांग्रेस में आए थे। विवादों से नाता, हिंदी पर कम पकड़ भी उनके खिलाफ जा सकता है।
अब तक केवल दो ही नेताओं ने नामांकन फॉर्म लिए
कांग्रेस अध्यक्ष पद पर 30 सितंबर तक नामांकन भरे जा सकेंगे। अब तक कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण से केवल शशि थरूर और कोषाध्यक्ष पवन कुमार बंसल ही नॉमिनेशन फॉर्म लेकर गए हैं। पवन बंसल खुद नॉमिनेशन भरने से मना कर चुके हैं। बताया जाता है कि बंसल ने हाईकमान के नेताओं के इशारे पर ही नॉमिनेशन फॉर्म लेकर रखा है, ऐसे में कोई नया नाम सामने आ सकता है।