हाईकोर्ट ने मुंबई में धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना को अडानी समूह को दिए जाने के खिलाफ याचिका ख़ारिज

मुंबई
बंबई उच्च न्यायालय ने मुंबई में धारावी झुग्गी बस्ती पुनर्विकास परियोजना को अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि याचिका का कोई आधार नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है।

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) स्थित सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने यह याचिका दायर की थी जिसमें अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को परियोजना देने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। अडानी समूह ने 259 हेक्टेयर धारावी पुनर्विकास परियोजना के लिए सबसे अधिक बोली लगाई थी। 2022 की निविदा प्रक्रिया में 5,069 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ उसने इसे हासिल किया था।

सेकलिंक टेक्नोलॉजीज कॉरपोरेशन ने 2018 की निविदा को रद्द करने और उसके बाद 2022 में अडानी को निविदा देने को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा, 'याचिका में उठाए गए आधारों में दम नहीं है। सरकार के निविदा को रद्द करने और नई निविदा पेश करने के कदम को चुनौती देने में वह विफल रही।'

जमकर हुई थी राजनीति
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान धारावी प्रोजेक्ट का मुद्दा गर्माया था। विपक्षी दल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने सत्ता में आने पर एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के पुनर्विकास के लिए अदाणी समूह को दी गई सारी जमीन वापस लेने और इस परियोजना को पूरी तरह से रद्द करने का वादा किया था। इधर, कहा जा रहा था कि विधानसभा चुनाव में महायुति की जीत से अडानी समूह के इस प्रोजेक्ट को राहत मिली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *