बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने नवा रायपुर के विकास से प्रभावित किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके लिए निर्धारित किए गए व्यावसायिक भूखंड को किसी अन्य को आवंटित करने पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट में डेरहाराम पटेल व अन्य ने याचिका दायर कर बताया था कि उनकी जमीन नवा रायपुर के विकास के लिए आपसी सहमति से अधिग्रहित की गई थी। राज्य सरकार की हाई पॉवर कमेटी ने सन् 2012-13 में पुनर्वास पैकेज के लिए बनाई गई योजना में प्रावधान किया कि प्रभावित सभी किसानों को आजीविका के लिए एक रुपये प्रतिवर्ग फीट की वार्षिक प्रीमियम पर व्यावसायिक भूखंड का आवंटन किया जाएगा। नवा रायपुर विकास प्राधिकरण ने सन् 2015 में इस बारे में आदेश भी जारी कर दिया। इसके बाद किसानों को भूखंड के आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जानी थी, मगर सन् 2016 में राज्य शासन और एनआरडीए की कमेटी ने पूर्व के निर्णय को बदल दिया। इसमें कहा गया कि नया रायपुर क्षेत्र में शामिल सभी 42 गांवों को इकाई के रूप में मानते हुए भूखंड का आवंटन किया जाएगा। याचिकाकतार्ओं ने बताया है कि इससे वे जमीन प्राप्त करने से वंचित हो गए। इसे लेकर उन्होंने सन् 2021 में मांग की तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए किसानों के लिए निर्धारित व्यावसायिक भूखंड को किसी और को आवंटित करने पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार, एनआरडीए तथा संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है।