शहर के गोसाईं मंदिर पितृपक्ष में 22 सालों से जारी हैं सामूहिक तर्पण

हरदा। शहर के गोलापुरा मोहल्ले स्थित गोसाई मंदिर में बीते 22 सालों से लगातार पितृपक्ष के दौरान पितरों की आत्मा शांति को लेकर निशुल्क सामूहिक तर्पण का कार्य हो रहा है। श्राद्ध पक्ष के दौरान पूरे 15 दिनों तक ज्योतिषाचार्य पंडित विवेक मिश्रा विधि-विधान से मंदिर में नि:शुल्क तर्पण करते हैं। सबसे पहले साल 2000 में जब इस मंदिर में सामूहिक तर्पण का काम शुरू हुआ था। उस दौरान केवल 30 लोग ही शामिल हुए थे। लेकिन हर साल तर्पण करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई। वर्तमान में 250 से अधिक लोग रोजाना सुबह मंदिर परिसर आकर विधि-विधान से अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं।
सामूहिक तर्पण कराने वाले पंडित विवेक मिश्रा बताते हैं कि तर्पण काम को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां हुआ करती थीं। जिस वजह से आम लोग तर्पण कार्य नहीं कराते थे। लेकिन जब उन्हें तर्पण के विषय में बताया जाने लगा, तो इस काम में कई लोग शामिल होने लगे। गोसाई मंदिर में रोजाना 250 से अधिक लोग तर्पण कार्य में विधि विधान से पितरों का तर्पण कर रहे हैं।
खुशहाली और समृद्धि के खुलते हैं द्वार
पंडित मिश्रा ने कहा कि तर्पण कार्य करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती हैं। साथ ही परिवार की खुशहाली और समृद्धि के द्वार भी खुलते हैं। उन्होंने बताया कि अश्वनी मास में कृष्ण पक्ष के 15 दिन पितृपक्ष के नाम से विख्यात हैं। इन 15 दिनों में लोग अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा से है। पितृपक्ष में श्राद्ध तो मुख्य तिथियों पर ही किया जाता हैं। लेकिन तर्पण प्रतिदिन किया जाता हैं।
गरीबों के लिए बहुत आसान है पितरों को खुश करना
पंडित मिश्रा ने बताया कि गरुड़ पुराण के अनुसार यह 15 दिन पितृपक्ष कहलाते हैं। समयानुसार श्राद्ध करने से कुल में कोई दु:खी नहीं रहता। देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व हंै। देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी हैं। इसलिए पितरों का तर्पण हर स्थिति में करना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति नितांत गरीब हैं, तो वो तिल, जौ, चावल युक्त जल से तिलांजलि देकर भी पितरों को संतुष्ट कर सकते हैं। यह भी न हो तो दक्षिण दिशा की ओर मुख कर के श्रद्धा के साथ पितरों का स्मरण करें, तो भी पितृ संतुष्ट होते हैं।

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