भोपाल। स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि पात्र लोगों को अधिक से अधिक लाभांवित करने के लिये शिक्षा का अधिकार अधिनियम में संशोधन के लिये उपयोगी सुझाव प्राप्त हुए हैं। मंत्री परमार ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 अंतर्गत शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 संबंधी भारत सरकार द्वारा गठित सार्थक टास्क 295 की 8 सदस्यीय उप समिति “मानदंड एवं मानक” की बैठक में वर्चुअली शामिल होकर यह बात कही।
भारत सरकार द्वारा आरटीई एक्ट-2009 में आवश्यक संशोधन के लिये गठित इन 3 उप समितियों में से एक “मानदंड एवं मानक” के अध्यक्ष मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार अध्यक्ष हैं। आज संपन्न हुई बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार स्कूलों की अधो-संरचना के लिए मानक एवं मानदंड, सामाजिक आर्थिक रूप से वंचित क्षेत्रों में सामान्य स्कूलों एवं विशेष शिक्षा के लिए मानदंडों तथा शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में विभिन्न प्रावधानों एवं विभिन्न बिंदुओं पर संशोधन हेतु प्रासंगिक सुझावों को लेकर व्यापक चर्चा हुई। आठ सदस्यीय समिति में अधिकांश सदस्यों ने आरटीई एक्ट में व्यापक संशोधन के बदलाव के सुझाव दिए।
मंत्री परमार ने कहा कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में समाज की आवश्यकता अनुसार पाठयक्रम की विषय-वस्तु को पुन: परिभाषित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उद्देश्य की पूर्ति के लिये आरटीई एक्ट- 2009 में आवश्यक संशोधन पर व्यापक विचार-मंथन किया जाना अत्यावश्यक है।
बैठक में इग्नू से प्रोफेसर चंद्रभूषण, दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रो. चांद किरण सलूजा, संयुक्त सचिव कानून एवं विधि मंत्रालय, संयुक्त सचिव शिक्षा, संयुक्त सचिव वित्त, संचालक एनसीईआरटी तथा सचिव गुजरात शिक्षा विभाग सदस्य के रूप में वर्चुअली उपस्थित रहे।