भारी वर्षा के कारण निर्मित परिस्थितियाँ नियंत्रण में : मुख्यमंत्री चौहान

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में भारी वर्षा के कारण जो परिस्थितियाँ निर्मित हो गई थी, उन्हें बेहतर प्रबंधन के आधार पर नियंत्रित कर लिया गया है। जनता की जिन्दगी की सुरक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रदेश में जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमें सजग हैं तथा स्थिति पर नियंत्रण रखे हुए हैं। सभी जिलों को निर्देश दिए गए हैं कि जिन गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी की तिथि आगामी दो या तीन दिन में है, उन्हें सर्वोच्च प्राथमिकता पर अस्पतालों और सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जाए। मुख्यमंत्री चौहान नर्मदापुरम के एनआईसी से प्रदेश के जिलों से अतिवृष्टि और बाढ़ नियंत्रण के संबंध में वर्चुअली चर्चा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार आगामी 19 से 23 अगस्त के मध्य भी अधिक वर्षा की संभावना है। नर्मदापुरम में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा उपस्थित थे। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट बैठक से वुर्चअली जुड़े। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा, प्रमुख सचिव जल संसाधन एस.एन. मिश्रा मंत्रालय भोपाल से बैठक में वर्चुअली शामिल हुए। मुख्यमंत्री चौहान ने विदिशा, सीहोर, बालाघाट, नर्मदापुरम, रायसेन, भोपाल, राजगढ़ और नरसिंहपुर जिले के अधिकारियों से जिले में वर्षा की जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि टीम मध्यप्रदेश वैज्ञानिक तरीके से आपदा प्रबंधन में दक्ष है। इसका उदाहरण, कारम डेम आपदा के प्रबंधन से स्पष्ट हुआ है। बेहतर प्रबंधन के परिणामस्वरूप भयावह स्थिति नहीं बन पायी और हम जनहानि के साथ पशुओं को भी बचाने में सफल रहे। मुख्यमंत्री चौहान ने अतिवृष्टि के परिणामस्वरूप बाढ़ नियंत्रण और जल निकासी व्यवस्था में लगे जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास, मौसम विभाग, जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ को बधाई दी।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यदि बरगी, बारना, तवा और कोलार का पानी एक साथ छूटता है तो जल-प्लावन की स्थिति बन सकती थी। बुद्धिमता के साथ वैज्ञानिक आपदा प्रबंधन करते हुए क्रमबद्ध रूप से बांधों से जल निकासी का प्रबंधन किया गया। जब तवा और बारना बांधों के गेट खुले थे तो बरगी बंद था। बरगी के गेट खुले तो तवा और बारना के गेट बंद होंगे। इस वैज्ञानिक प्रबंधन के परिणामस्वरूप क्षेत्र को गंभीर स्थिति से बचाने में सफलता मिली है। हमें यह वैज्ञानिक आपदा प्रबंधन निरंतर करते रहना होगा। इससे आपदा प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में उदाहरण प्रस्तुत करेगा। बांधों में 80 प्रतिशत जल भंडारण का निर्णय लिया गया है, 20 प्रतिशत की गुंजाइश छोड़ी गई है।
मुख्यमंत्री चौहान ने जिलों द्वारा की गई व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि डूब में आने वाले संभावित स्थानों से लोगों को ऊँचे स्थानों पर शिफ्ट किया गया। नर्मदापुरम में राहत शिविर के निरीक्षण के बाद वहाँ की व्यवस्था पर मुख्यमंत्री चौहान ने संतोष व्यक्त किया। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सभी जिलों में राहत शिविरों की व्यवस्था रखी जाए। साथ ही पशुओं की सुरक्षा के लिए भी जिला प्रशासन संवदेनशीलता के साथ कार्य करें।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आपदा प्रबंधन में जन-प्रतिनिधियों तथा नवनिर्वाचित पंचायत और नगरीय निकायों के प्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर उनका सहयोग लिया जाए। सोशल मीडिया और जनसंचार के अन्य माध्यमों से अतिवृष्टि तथा बाढ़ की स्थितियों को जनता के साथ साझा किया जाए। इससे जन-सामान्य को सतर्क करने और उनके द्वारा आवश्यक सावधानियाँ बरतने में सहायता मिलेगी। आपदा प्रबंधन में आदर्श समन्वय आवश्यक है। मुख्यमंत्री चौहान ने जिलों को अपना सूचना तंत्र मजबूत रखने के निर्देश भी दिए
मुख्यमंत्री चौहान ने जिला प्रशासन को अपने क्षेत्र के सभी बांध, तालाब और जल-संरचनाओं का परीक्षण कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि लगातार हो रही वर्षा और आगामी दिनों में भारी वर्षा की संभावना को देखते हुए तकनीकी अमले के साथ जल-संरचनाओं का निरीक्षण और उनमें सीपेज आदि की संभावना पर नजर रखी जाए। आगामी कुछ दिनों तक प्रतिदिन बांधों की मॉनीटरिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करें। मौसम के पूर्वानुमान सदैव सटीक नहीं होते, अत: तैयारी आवश्यक है। जिलों के पास पानी डिस्चार्ज का आंकलन पूर्व से ही है। तदनुसार सभी विभाग परस्पर समन्वय कर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहें। जिला प्रशासन बाढ़ राहत के लिए राशन, दवाएँ, नाव, मोटरबोट, गोताखोर, बचाव दल, राहत शिविर, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ की टीमों को तैयार रखें। मुख्यमंत्री चौहान ने अतिवृष्टि के प्रबंधन और राहत के लिए सूक्ष्मतम बिन्दुओं पर ध्यान देते हुए विस्तृत कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *