नई दिल्ली। देश के निर्यात में लगातार चौथे महीने गिरावट आई है। नवंबर महीने में निर्यात में 0.34 फीसदी की गिरावट आई और यह करीब 26 अरब डॉलर का रहा। दूसरी तरह लगातार छह महीने से आयात में भी गिरावट का सिलसिला बरकरार है। नवंबर महीने में आयात में करीब 11 फीसदी की गिरावट आई और यह कुल 38 अरब डॉलर का रहा।
आर्थिक सुस्ती का दिख रहा असर
आयात और निर्यात में गिरावट के संकेत साफ हैं कि इंडस्ट्री में सुस्ती छाई है और यह समस्या गहराती जा रही है। नीति निर्माताओं के लिए यह चिंता का विषय है। मांग में कमी होने के कारण औद्योगिक ऐक्टिविटी घट रही है, जिसके कारण प्रॉडक्शन घटा और कच्चे माल का आयात कम होने लगा। निर्यात के घटने से व्यापार घाटा बढ़ेगा जो ठीक नहीं है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों, आभूषणों और चमड़ा उत्पादों के निर्यात में गिरावट की वजह से कुल निर्यात नीचे आया है। पिछले साल नवंबर में निर्यात 26.07 अरब डॉलर रहा था। सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान आयात भी 12.71 प्रतिशत घटकर 38.11 अरब डॉलर रहा। पिछले साल के समान महीने में आयात 43.66 अरब डॉलर रहा था। हालांकि व्यापार घाटा घटा है। नवंबर 2018 में यह 17.58 अरब डॉलर था जो इस साल 12.12 अरब डॉलर पर आ गया।
आयात में गिरावट को लेकर कहा जा रहा है कि कच्चे तेल का आयात 18 फीसदी गिर गया और यह 11 अरब डॉलर रहा। गैर पेट्रोलियम पदार्थों का आयात 10 फीसदी गिरकर 27 अरब डॉलर रहा है। सुस्ती के कारण ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट्स का आयात तो करीब 50 फीसदी तक गिर गया है। जबकि वैश्विक कारणों और वैश्विक सुस्ती के कारण निर्यात पर असर पड़ा है।