नक्सल हिंसा में बलिदान देने वाले 1344 जवानों के परिजन 13 को होंगे सम्मानित

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के 22 वर्षों में नक्सल मोर्चे पर 1,344 जवानों ने अब तक बलिदान दिया है जिनमें 802 छत्तीसगढ़ पुलिस के और 542 केंद्रीय बल के जवान हैं। वहीं राज्य के 32 जवानों ने सेना में रहते हुए देश की सीमा की रक्षा में प्राणों का बलिदान दिया हैं। राज्य सरकार पहली बार सभी बलिदानियों के परिजनों को 13 अगस्त को एक साथ सम्मानित करेगी।
पिछले एक वर्ष में नक्सलियों के पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के 124 बड़े नक्सल कमांडर को जवाबनों ने मारे गए हैं जिनमें से 69 को पुलिस ने मुठभेड़ में मारा है। इनमें महाराष्ट्र में मुठभेड़ में मारे गए मिलिंद तेलतुंबड़े, तेलंगाना के रामचंद्र रेड्डी आदि कमांडरों के नाम शामिल हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस के एंटी नक्सल आपरेशन के आला अधिकारियों की मानें तो वर्ष 2008 से लेकर 2018 तक राज्य में नक्सली हर साल 500 से लेकर 600 हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे जो कि बीते साढ़े तीन वर्षों में घटकर औसतन 250 तक रह गए हैं। वर्ष 2022 में अब तक मात्र 134 नक्सल घटनाएं हुई हैं, जो कि 2018 से पूर्व घटित घटनाओं से लगभग चार गुना कम हैं। राज्य में 2018 से पूर्व नक्सली मुठभेड़ के मामले प्रतिवर्ष 200 के करीब हुआ करते थे, जो अब घटकर दहाई के आंकड़े तक सिमट गए हैं। वर्ष 2021 में राज्य में मुठभेड़ के मात्र 81 और वर्ष 2022 में अब तक 41 मामले हुए हैं।
बीते साढ़े तीन वर्षों में 1,589 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह आंकड़ा 10 वर्षों में समर्पित कुल नक्सलियों की संख्या के एक तिहाई से अधिक है। बस्तर संभाग के 589 गांवों के पौने छह लाख ग्रामीण नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। इनमें सर्वाधिक 121 गांव सुकमा जिले के हैं। दंतेवाड़ा जिले के 118 गांव, बीजापुर जिले के 115 गांव, बस्तर के 63 गांव, कांकेर के 92 गांव, नारायणपुर के 48 गांव और कोंडागांव के 32 गांव नक्सल प्रभाव से मुक्त हुए हैं।

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