पहली बार तालिबान-भारत के विदेश मंत्रियों की होगी द्विपक्षीय बैठक! मोदी सरकार का बड़ा डिप्लोमेटिक फैसला

ताशकंद। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहली बार उज़्बेकिस्तान के ताशकंद में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के साथ द्विपक्षीय बैठक कर सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उज्बेकिस्तान में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियो की बैठक के दौरान भारत और तालिबान के विदेश मंत्रियों की बैठक हो सकती है।
तालिबान के विदेश मंत्री से मुलाकात
राजनयिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि, हालांकि दोनों तरफ से अभी तक बैठक को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन जब से भारत ने इस साल जून में काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलने का फैसला किया है, तब से अफगानिस्तान का तालिबान शासन जयशंकर के साथ बैठक का अनुरोध कर रहा है। अगर ऐसी कोई बैठक होती है, तो जयशंकर और मुत्ताकी के बीच यह पहली आमने-सामने की बातचीत होगी। शीर्ष स्तर के सूत्रों ने कहा कि, प्रस्तावित बैठक पूरी तरह से मानवीय सहायता और अफगान लोगों के लिए सहायता से संबंधित मुद्दों पर केंद्रित होगी। जयशंकर एससीओ विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए उज्बेकिस्तान के दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को रवाना हुए हैं, जहां उनके मुख्य कार्यक्रम के इतर कई द्विपक्षीय बैठकें करने की उम्मीद है, जिसमें चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक भी शामिल है।
अफगानिस्तान के लिए हो सकते हैं ऐलान
रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि, तालिबान के विदेश मंत्री के साथ अनुमानित बैठक के दौरान भारत से अफगानिस्तान को दी जाने वाली मानवीय सहायता का जायजा भारतीय विदेश मंत्री ले सकते हैं, वहीं अफगान पक्ष नई दिल्ली के लिए कुछ मेगा भारतीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम फिर से शुरू करने का प्रस्ताव दे सकता है, जो तालिबान के अफगानिस्तान अधिग्रहण के बाद भारत ने रोक जी थी। दूसरी ओर, भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस तथ्य पर “दृढ़ता से जोर देने” की संभावना है कि, नई दिल्ली अफगान धरती पर आतंकवाद में वृद्धि को बर्दाश्त नहीं करेगी, जिससे भारत ने पिछले साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पारित यूएनएससी प्रस्ताव 2593 के तहत भारत की अध्यक्षता के दौरान अपना रुख दोहराया। भारत तालिबान के साथ तब से पर्दे के पीछे से बात कर रहा है, जब से तालिबान ने पिछले साल अगस्त में काबुल में सत्ता संभाली है। लेकिन इस साल जून में नई दिल्ली ने अफगानिस्तान में अपना दूतावास फिर से खोलने का फैसला किया और वहां एक “तकनीकी टीम” भेजी है।

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