रायपुर.
नगरीय प्रशासन विकास विभाग ने प्रदेश की सभी निकायों के आयुक्तों और सीएमओ को हर माह बिजली बिल का परीक्षण और एनर्जी ऑडिट कराने को कहा है। साथ ही नगरीय निकायों को हर महीने बिजली के बिल का भुगतान जमा करने के निर्देश दिए हैं और ऐसा नहीं करने पर अधिकारियों की जेब से बकाया राशि वसूली जा सकती है। प्रशासन के निर्देशानुसार समय पर बिजली बिल का भुगतान नहीं करने पर निकायों को अलग से सरचार्ज भी देना पड़ेगा और यह सरचार्ज अधिकारियों को अपनी जेब से देना पड़ेगा।
आपको बता दें कि प्रदेश की लगभग सभी निकायों में बिजली का बिल नहीं जमा कराया गया है, कई निकायों ने महीनों का भुगतान होना बाकी है। नए नियमानुसार समय पर बिजली बिल जमा नहीं होने पर सरचार्ज और कंपाउंड सरचार्ज (चक्रवृद्धि ब्याज) भरना पड़ सकता है। अब तक इसका भुगतान निकायों द्वारा किया जाता था, अब इसके लिए अलग से दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। जिसके हिसाब से अगर बिजली का बिल समय पर नहीं जमा किया गया तो अब सरचार्ज की वसूली आयुक्तों और सीएमओ से होगी।
क्या है सरचार्ज ?
बिजली बिल के भुगतान की एक समय सीमा होती है। उसी समय सीमा में अगर बिजली बिल का भुगतान नहीं किया गया तो जो अतिरिक्त शुल्क पटाना पड़ता है, उसे ही सरचार्ज कहते हैं। एक माह बिजली बिल नहीं जमा करने पर संबंधित निकायों को 7% सरचार्ज लगता है। इसके बाद एक माह, दो माह जैसे-जैसे बिल पेंडिंग होता है, फिर उसमें कंपाउंड सरचार्ज यानी चक्रवृद्धि ब्याज लगता है।
जितना आ रहा बिल, नहीं हो पा रहा भुगतान
इस नए निर्देश के बाद अधिकारी कहते हैं कि सबसे अधिक बिल स्ट्रीट लाइटों के जलने से जेनरेट होता है। इसके साथ ही पंप हाउसों, दफ्तरों, गार्डनों में बिजली की अच्छी खासी खपत हो जाती है। जितना भी बिल आ रहा है, उतना भुगतान नहीं हो पा रहा है।