फैक्ट्री में पुरुषों से परेशान महिला बन गई ऑटो ड्राइवर

नई दिल्ली। महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलना आज भी आसान नहीं है। कुछ पुरुषों की वजह से बहुत सी महिलाएं अब भी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। छाया इनमें से एक है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने और बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए छाया ने कपड़े की एक फैक्ट्री में काम करना शुरू किया था, मगर वहां उसे जो झेलना पड़ता था, उससे वह तंग आ चुकी थी।
यह सक्सेज स्टोरी या कहें रियल इंस्पायरिंग स्टोरी ओलिट एक्सपीडिशंस (OLLIT EXPEDITIONS) की संस्थापक और निदेशक नंदिनी चोलाराजू ने अपने लिंक्डइन अकाउंट पर पोस्ट की है। सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई यह स्टोरी ओला की ऑटो ड्राइवर छाया की है। स्टोरी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है और सभी इस खूबसूरत और जीवट महिला छाया की तारीफ कर रहे हैं। नंदिनी की पोस्ट को अब तक हजारों लोग पसंद कर चुके हैं और उनकी कहानी को शेयर कर रहे हैं।
नंदिनी ने लिंक्डइन पर पोस्ट की छाया की सक्सेज स्टोरी
नंदिनी के अनुसार, मैंने हाल ही में एक ओला ऑटो बुक किया। कुछ देर बाद एक महिला ऑटो ड्राइवर मेरे पास आई। मैं उसे देखकर चौंक गई थी। वह एक खूबसूरत सी महिला था और उसका नाम है छाया। मैंने उससे अपने सफर बात की, तब छाया ने बताया कि उसने हाल ही में ऑटो चलाना शुरू किया है। इससे पहले वह कपड़े की एक फैक्ट्री में काम करती थी, मगर वहां पुरुषों से तंग थी, इसलिए नौकरी छोड़नी पड़ी। फिर टिफिन सर्विस शुरू की। इस काम में नुकसान हुआ तो अपनी परेशानी भाई को बताई।
भाई ने सलाह दी ऑटो चलाओ, पति ने पहले मना किया, मगर बाद में मान गया
दरअसल, छाया का भाई ऑटो ड्राइवर है। उसने सलाह दी कि वह इलेक्ट्रिक ऑटो चलाए। छाया को भी यह सलाह अच्छी लगी। ड्राइविंग में उसकी दिलचस्पी भी थी। उसने पति से बात की, मगर उन्हें यह काम पसंद नहीं आया। वह कोई भी काम पति की इच्छा से ही करना चाहती थी। हालांकि, जब आर्थिक हालात नहीं सुधरे तो एक दिन फिर पति का मूड देखकर उनसे बात की और इस बार वे इसके लिए तैयार हो गए थे।
रोज सौ किलोमीटर चलाती है ऑटो, हर महीने 25 से 30 हजार के बीच इनकम
छाया ने ओला मे ऑटो चलाना शुरू किया। वह बताती है कि रोज करीब सौ किलोमीटर ऑटो चलाती है और इससे उसकी रोज की कमाई करीब एक हजार तक हो जाती है। बाकि खर्च निकालकर महीने में वह 25 से 30 हजार के बीच कमा लेती है। वह रोज छह बजे काम बंद कर देती है और तब परिवार को समय देती है। छाया के इस काम से परिवार खुश है और नंदिनी को भी छाया से मिलकर खुशी हुई, जो अब भी परिवार को संभालने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।

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