बिहार के कैमूर जिले के अतरवलिया गांव के निवासी मनोज तिवारी ने दिल्ली को अपनी राजनीतिक ”कर्मभूमि” बनाया है

पटना
भोजपुरी सितारे राष्ट्रीय राजनीति में तो धूम मचा रहे हैं, लेकिन वे बिहार में चुनावी मुकाबले में उनकी अनुपस्थिति साफ दिखाई देती है। भोजपुरी एक ऐसी भाषा है जो विदेश में मॉरीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे देशों में भी बोली जाती है। बिहार के कैमूर जिले के अतरवलिया गांव के निवासी मनोज तिवारी ने दिल्ली को अपनी राजनीतिक ''कर्मभूमि'' बनाया है, जबकि रवि किशन और दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' उत्तर प्रदेश से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले आरा के मूल निवासी पवन सिंह के चुनावी मैदान में उतरने की काफी चर्चा थी। उन्हें टिकट भी मिला लेकिन पश्चिम बंगाल से। पवन सिंह ने एक विवाद के बाद चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया।

अटकलें हैं कि अपने गानों से इंटरनेट पर सुर्खियां बटोरने वाली नेहा सिंह राठौड़ को कांग्रेस का टिकट मिल सकता है। वह राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' सहित पार्टी के कई कार्यक्रमों में शामिल होने दिखी हैं। बिहार से चुनाव मैदान में उतरने वाले एकमात्र लोकप्रिय भोजपुरी/मगही गायक गुंजन कुमार ने कहा, ''कई भोजपुरी सुपरस्टार आगामी लोकसभा चुनाव के लिए मैदान में हैं, लेकिन क्षेत्रीय फिल्म जगत के केंद्र कहे जाने वाले बिहार या पड़ोसी राज्य झारखंड से किसी को भी मैदान में नहीं उतारा गया है।'' कुमार नवादा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं जहां 19 अप्रैल को मतदान होगा। कुमार ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा कि उन्होंने अपने गृह नगर नवादा से चुनाव लड़ने के लिए टिकट के वास्ते सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से संपर्क किया था, लेकिन किसी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, इसीलिए उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा।

गायक ने कहा, ''ऐसा लगता है कि राजनीतिक दल बिहार से ही भोजपुरी गायकों/अभिनेताओं को लोकसभा चुनाव में उतारने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।'' हालांकि, विधानसभा में भोजपुरी गायक विनय बिहारी पश्चिमी चंपारण की लौरिया विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक हैं। कुमार ने कहा, ''यदि याद करूं तो बिहारी बाबू के नाम से लोकप्रिय शत्रुघ्न सिन्हा ही अंतिम अभिनेता थे, जो राज्य में लोकसभा चुनाव के लिए खड़े हुए थे और उन्होंने पटना सहिब निर्वाचन क्षेत्र से दो बार जीत दर्ज की थी। उसके बाद 2019 में उन्हें टिकट नहीं दिया गया लेकिन अब वह पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से फिर चुनाव लड़ रहे हैं।'' लौरिया विधानसभा सीट से भाजपा के तीन बार के विधायक विनय बिहारी ने भी इसी तरह का विचार व्यक्त करते हुए 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''यह सच है कि प्रमुख राजनीतिक दल बिहार से ही भोजपुरी अभिनेताओं/गायकों को लोकसभा टिकट देने में थोड़ा हिचक रहे हैं। उन्हें (अभिनेताओं/गायकों को) अन्य राज्यों से लोकसभा टिकट दिया जाता है, लेकिन बिहार से नहीं।''

बिहारी ने कहा कि भाजपा ने 2014 में शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साहिब से टिकट दिया था जहां से उन्होंने जीत हासिल की, लेकिन उसके बाद किसी भी भोजपुरी अभिनेता या गायक को बिहार से लोकसभा का टिकट नहीं दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि जनता दल यूनाइटेड (जद-यू) ने 2014 में पश्चिम चंपारण से फिल्म निर्माता प्रकाश झा को लोकसभा का टिकट भी दिया था। उन्होंने कहा, ''मै इस दर्द को समझ सकता हूं। जब मैंने 2010 में लौरिया विधानसभा सीट से चुनाव जीता था, उस समय निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में खड़ा हुआ था। इसके बाद मैं भाजपा में शामिल हो गया और 2015 और 2020 में जीत हासिल की। 2010 के विधानसभा में कोई भी दल मुझे टिकट देने को तैयार नहीं था।''

योग्य उम्मीदवार को दिया जाता है टिकट: रवि किशन
लोकप्रिय भोजपुरी अभिनेता एवं गोरखपुर लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार रवि किशन ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''कम से कम हमारी पार्टी (भाजपा) के मामले में ऐसा नहीं है। हमारा शीर्ष नेतृत्व भोजपुरी अभिनेता और गायक समेत किसी भी व्यक्ति को टिकट देने से पहले विभिन्न सामाजिक समीकरणों सहित हर पहलू का विश्लेषण करता है। पार्टी का टिकट हमेशा सबसे योग्य उम्मीदवार को दिया जाता है। बिहार में भी यही स्थिति है।'' राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता एवं पार्टी के प्रवक्ता (बिहार इकाई) मृत्युंजय तिवारी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''शीर्ष नेतृत्व द्वारा लोकसभा टिकट देते समय कई कारकों को ध्यान में रखा जाता है। हमारी पार्टी के प्रमुख लालू प्रसाद जी ने हमेशा से भोजपुरी कलाकारों को उचित सम्मान दिया है। मुझे यकीन है कि आने वाले वर्षों में तेजस्वी प्रसाद यादव जी के नेतृत्व में हमारी पार्टी भोजपुरी अभिनेताओं/गायकों को लोकसभा चुनाव में उतारने पर विचार करेगी।''

 

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