आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से है छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान : भूपेश बघेल

प्री-मैटिक छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों, आश्रमों के बच्चों की शिष्यवृत्ति बढ़ाकर 1000 रूपए प्रतिमाह
मुख्यमंत्री के रेडियोंवार्ता को मर्दापोटी के ग्रामीणों ने उत्साहपूर्वक सुना
कांकेर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता ‘लोकवाणी’ की 5वीं कड़ी का प्रसारण आज किया गया, जिसे सुनने के लिए ग्रामीण अंचलों में व्यवस्था की गई थी, कांकेर विकासखण्ड के ग्राम मर्दापोटी में आयोजित कार्यक्रम में ग्रामीणों एवं छात्रावासी बच्चों ने उत्साहपूर्वक सुना। आदिवासियों की गौरवशाली संस्कृति और परम्परा, वनोपज पर आधारित उनकी आजीविका, राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा आदि विषयों पर प्रदेशवासियों के साथ मुख्यमंत्री ने अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान है।
मुख्यमंत्री बघेल ने लोकवाणी में चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में लगभग एक तिहाई आबादी अनुसूचित जनजातियों की है। इन्होंनेे अपनी सोच, अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति तथा अपने योगदान से छत्तीसगढ़ को एक विशेष पहचान दी है। अनुसूचित जनजाति के लोग अपनी जिन्दगी में रमे होते हैं और अपनी आकांक्षाएं मुखर करने में भी संकोच करते हैं। आदिवासीयों का आय बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने प्रदेश में तेन्दूपत्ता संग्रहण मजदूरी को 2500 से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया है, ताकि संग्राहकों की आमदनी में तुरंत और सीधी बढोत्तरी हो जाए। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में इसके साथ ही लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी का दायरा भी बढ़ा दिया गया है। पहले सिर्फ 7 वनोपजों की खरीदी करते थे, जबकि अब सरकार द्वारा 15 वनोपजों की खरीदी की जा रही है, इसके अलावा 3 लघु वनोपजों, रंगीनी लाख पर 20 रूपए किलो, कुल्लू गोंद पर 20 रूपए किलो तथा कुसमी लाख पर 22 रूपए किलो अतिरिक्त बोनस देने का इंतजाम भी किया गया है, जिससे वनवासी लोगों की आय बढ़ सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज में मातृ-शक्ति को और सशक्त बनाना चाहते हैं, इस दिशा में एक नया कदम उठाते हुए वनोपजों के कारोबार से महिला समूहों की 50 हजार से अधिक सदस्यों को जोडऩे का निर्णय लिया गया है।
परंपरागत वैद्यकीय ज्ञान भी छत्तीसगढ़ के वनांचलों की विशेषता है। परंपरागत वैद्यों के कौशल और ज्ञान को सहेजने तथा इसे उपयोग में लाने के लिए 1200 परंपरागत वैद्यों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया, अब इस दिशा में कार्य आगे बढ़ाया जा रहा है। ‘नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी‘ महाभियान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नरवा योजना में नालों के साथ हर तरह के जलाशयों को हमें बचाना है। नदी, नाले, झील, तालाब, कुएं और ऐसी हर संरचना जिससे बारिश का पानी बहने से रूके, भू-जल की रिचार्जिंग हो, नए जल स्त्रोत मिलें, ऐसे सारे उपाय किए जा रहे हैं।
आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा के बड़े फैसले
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे महान नेताओं के पद चिन्हों पर चलते हुए आदिवासी समाज को सबसे पहले और सबसे तेजी से विकास की सुविधाएं देने की पहल कर रही है। अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी से गैर-आदिवासी को भूमि क्रय करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। पूर्व में इस प्रकार के जो अंतरण हुए हैं, उनमें भी न्याय दिलाने की पहल की गई है और आदिवासी भूमिस्वामी को पुन: अधिकार दिए गए हैं। अधिसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समाज के सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक अधिकारों का पूर्णत: संरक्षण किया जा रहा है। पेसा कानून के अंतर्गत ग्राम सभा की महती भूमिका है। ग्राम सभा की अनुमति के बाद ही सभी शासकीय, अशासकीय भू-अर्जनों की कार्यवाही की जा रही है। सामुदायिक वन आधिकार दिया जाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। वन अधिकार कानून के अंतर्गत व्यक्तिगत दावों पर पुनर्विचार किया जा रहा है। दूर-दूर तक फैले गांवों का नए सिरे से परिसीमन कराकर उन्हें पंचायतों का दर्जा दिया गया है। पंचायत प्रतिनिधियों के निर्वाचन में 5वीं और 8वीं कक्षा की अनिवार्यता समाप्त कर दी है।
जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया
बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानूनों को प्रभावी बनाने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल करते हुए पिता की जाति के आधार पर नवजात को जाति प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि जिन निर्दोष लोगों को झूठे मामलों, मुकदमों में फसाया गया था उन्हें न्याय दिलाने के लिए जस्टिस पटनायक अयोग काम कर रहा है। सारकेगुड़ा में न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन प्राप्त हो गया है, जिसके आधार पर दोषियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 27, 28 और 29 दिसंबर को
मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में कहा कि आदिवासी लोक कलाओं की देश दुनिया में पहचान स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन रायपुर में 27, 28 और 29 दिसंबर को किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति और परम्पराएं हमारी माँ के सामान है। आदिवासी समाज के प्रकृति और संस्कृति से जुड़ाव पर हमें गर्व है। धरती के संसाधनों हवा, पानी, पर्यावरण को बचाने आदिवासी समाज के योगदान पर हमें गर्व है।
आदिवासी कला और संस्कृति के उत्थान में लोककला परिषद की होगी अहम भूमिका
मुख्यमंत्री बघेल ने बताया कि आदिवासी लोककला परिषद, लोककला और संस्कृति के उत्थान में अहम भूमिका अदा करेगी। यह लोक कलाकारों की अधिकार संपन्न संस्था होगी। जिसके पास अपना बजट होगा, अपनी समझ, अपनी योजनाएं और कार्यक्रम होंगे। यह नौकरशाही से अलग सक्रिय कलाकारों और विशेषज्ञों द्वारा संचालित होगी। ये सरकारी नहीं बल्कि असरकारी तरीके से काम करने में सक्षम होगी।
नई औद्योगिक नीति ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ की मूल भावना पर आधारित
मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता में कहा कि राज्य सरकार की नई औाद्योगिक नीति ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ की मूल भावना पर आधारित है। इस नीति के माध्यम से आदिवासी अंचलों के विकास में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। उद्योग नीति में पिछड़े क्षेत्रों या विकासखंडों को सबसे अधिक रियायत और संसाधन देने का फैसला किया गया है। नए उद्योगों में स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से रोजगार देने का प्रावधान है। अकुशल श्रेणी में 100 प्रतिशत, कुशल श्रेणी में कम से कम 70 प्रतिशत और प्रशासकीय और प्रबंधकीय श्रेणी में कम से कम 40 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिलेगा। खेती, उद्यानिकी, हस्तशिल्प आदि को उच्च प्राथमिकता दी गई है। खाद्य और वनोपज प्रसंस्करण की अधिक से अधिक इकाईयां लगे, इस पर हमारा जोर होगा। मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना में 3500 से अधिक नये उद्योग लगाने का लक्ष्य है। राज्य सरकार चाहती है कि 2024 तक अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के कम से कम 300 उद्यमी उद्योग लगाएं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि वनांचलों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता से रोजगार देने के लिए राज्य सरकार ने अनेक बड़े कदम उठाएं है। बस्तर, सरगुजा तथा बिलासपुर संभाग के लिए कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड के गठन का निर्णय लिया गया है। बस्तर, सरगुजा संभाग की तरह कोरबा जिले में जिला संवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों की पूर्ति स्थानीय लोगों से करने की समय-सीमा बढ़ा दी गई है। विशेष पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को स्थानीय स्तर पर नौकरी देने के लिए नियमों को शिथिल किया गया है। प्री-मैटिक छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों, आश्रमों के बच्चों की शिष्यवृत्ति बढ़ाकर 1000 रूपए प्रतिमाह की गई है। प्रदेश में 16 नवीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शुरू किए गए है। मैट्रिकोत्तर छात्रावास के विद्यार्थियों की छात्र भोजन सहाय राशि 500 रूपए प्रतिमाह से बढ़ाकर 700 रूपए प्रतिमाह की गई है। हॉट बाजारों में चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। सुपोषित छत्तीसगढ अभियान, ‘मेहरार चो मान‘ जैसे कार्यक्रम लोक अभियान बनकर आदिवासी अंचलों में लोगों की जुबान पर चढ़ गए हैं।
किसानों को धान की कीमत 2500 रूपए प्रति क्विंटल
बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि प्रदेश में धान की खरीदी एक दिसम्बर से शुरू हो चुकी है। किसानों को धान का मूल्य 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से मिलेगा। केन्द्र के नियमों के तहत फिलहाल केन्द्र द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही है।
मर्दापोटी में आयोजित रेडियों श्रवण कार्यक्रम में जनपद सदस्य राजेश भास्कर, ग्राम पंचायत के सरपंच श्रीमती अशीता कुमेटी, पंच सुकदेव मातलाम, पूर्व जनपद सदस्य रमेश गावड़े, जनपद पंचायत कांकेर से संतोष कौशिक, ग्राम पंचायत सचिव मनोज साहू, रोजगार सहायक मनीषा जैन, चैतूराम पोटाई, नाथूराम उईके, चैनूराम यादव, परमेश कडिय़ाम, सियाराम जैन, हेमकुमार मण्डावी सहित ग्रामीणजन और छात्रावासी बच्चें उपस्थित थे।
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