जनता को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले महीने एक्साइज ड्यूटी में कटौती की और ईंधन सस्ता हो गया। लेकिन, आम जनता को मिली राहत पेट्रोलियम कंपनियों के लिए आफत बन रही है। पेट्रोल में उन्हें 17.1 रुपये प्रति लीटर, जबकि डीजल पर 20.4 रुपये लीटर का नुकसान हो रहा है। बता दें पांच राज्यों में चुनाव के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम करीब 10 रुपये तक बढ़ गए थे। उससे पहले कई महीनों तक रेट स्थिर रहे। पह भी तब, जब कच्चे तेल के भाव आसमान छू रहे थे। केंद्र सरकार ने कुछ दिन पहले आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमशः आठ रुपये और छह रुपये प्रति लीटर की कटौती करने की घोषणा की थी, जिससे पेट्रोल-डीजल के दाम गिर गए हैं।
लागत बढ़ने के बावजूद लोगों को मिल रही राहत के बाद पेट्रोलियम कंपनियों ने नुकसान (अंडर-रिकवरी) का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है। तेल के दाम में तेजी के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) अप्रैल से ईंधन के दाम नहीं बढ़ाए हैं। यह सिलसिला पिछले 57 दिन से चल रहा है।