हिंदू धर्म में त्रिदेवों में महादेव की उपाधि सबसे पूज्यनीय है। इनके दो प्रमुख पर्व साल में मनाए जाते हैं, एक महाशिवरात्रि जो 8 मार्च के दिन मनाई जाएगी दूसरा है सावन का महीना। चूंकी अभी महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। तो आज हम इसी पर्व के संदर्भ में आपसे बात कर रहे हैं। इस महाशिवरात्रि महादेव के भक्त उनको प्रसन्न करने के लिए हर संभंव प्रयास करेंगे। इस दिन जगह-जगह शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
शिवालयों में हर हर महादेव की गूंज उठती है। यह पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है। सभी लोग शिव भक्ति में डूब जाते हैं। इसी के साथ लोग इस दिन पूजा-पाठ में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उन्हें बेलपत्र अर्पित करते हैं। मान्यता है कि बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी है। आइए जानते हैं आखिर बेलपत्र चढ़ाने से महादेव शीघ्र क्यों प्रसन्न हो जाते हैं, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसे आज हम आपको बातने जा रहे हैं।
बेलपत्र चढ़ाने की वजह
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकलने से समस्त संसार उसके ताप को सहन करने में असमर्थ हो गया था। देवता और दानव भी परेशान हो गए थे। तब सभी ने भगवान शिव की आराधना कि और उनसे हलाहल विष के निवारण हेतु मदद मांगी। तब भगवान शिव ने उस हलाहल विष से सभी को मुक्ति दिलाने के लिए उसे पी लिया। विष का ताप इतना था कि उसका प्रभाव कम नहीं हुआ और महादेव का कंठ नीला पड़ गया। तब देवताओं ने महादेव को बेलपत्र और जल अर्पित किया। बेलपत्र के प्रभाव से विष का ताप कम होने लगा। बेलपत्र दरअसल ताप को कम करने में सहायक होता है। देवताओं के बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव का ताप कम हुआ और उन्होंने प्रसन्न होकर सभी को आशीर्वाद दिया कि अब से जो भी मुझे बेलपत्र अर्पित करेगा उसकी मैं हर मनोकामना पूरी करूंगा। तभी से भगवान शिव या उनका एक स्वरूप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा चलती चली आ रही है।