लखनऊ
आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश (यूपी) एक बार फिर से सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अहम साबित हो सकता है। कहा जाता है कि दिल्ली की कुर्सी का रास्ता 80 सीटों वाले यूपी से होकर जाता है। ऐसे में भाजपा चाहेगी की वह यूपी में एक बार फिर ज्यादा से ज्यादा सीटें जीते। हालांकि भाजपा के सामने यूपी में एनडीए के सहयोगी दलों को साधने की भी चुनौती है। रिपोर्टों के मुताबिक, भगवा पार्टी लोकसभा चुनाव के लिए अपने सहयोगियों को उत्तर प्रदेश में छह सीट आवंटित कर सकती है।
सूत्रों के हवाले से लिखा है कि उत्तर प्रदेश में, अपना दल (सोनीलाल) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) को दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है, जबकि एक सीट निषाद पार्टी को मिल सकती है। इसके अलावा, भाजपा ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) को भी एक सीट दे सकती है। ऐसे में भाजपा अकेले 74 सीटों पर लड़ेगी। बीजेपी 2014 और 2019 की तुलना में इस बार यूपी में कम सीटों पर चुनावी मैदान में उतरेगी। इसकी वजह ये है कि सहयोगी दलों की संख्या बढ़ गई है। इससे पहले भाजपा 2014 और 2019 में यूपी की 78 सीटों पर खुद चुनाव लड़ी थी और दो सीटें केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) के लिए छोड़ा था।
किसे कौन सी सीट मिल सकती है?
बीजेपी ने 2014 में अनुप्रिया पटेल की अपना दल को प्रतापगढ़ और मिर्जापुर लोकसभा सीट दी थी जबकि 2019 में मिर्जापुर और सोनभद्र लोकसभा सीट दी थी। इस बार केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल 5 सीटों की डिमांड कर रहीं थी। हालांकि उनको यही दो सीटें दी जा सकती हैं। इसके अलावा, इंडिया गठबंधन छोड़कर आई जयंत चौधरी की आरएलडी (राष्ट्रीय लोक दल) को भाजपा ने पश्चिमी यूपी में दो लोकसभा सीटें देने का फॉर्मूला बनाया है। यानी रालोद को बागपत और बिजनौर लोकसभा मिल सकती है। वैसे बिजनौर सीट पर पेंच फंसा हुआ है। सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर भी सपा का साथ छोड़ एनडीए का हिस्सा हैं। उन्हें बीजेपी पूर्वांचल की एक लोकसभा सीट दे सकती है। घोसी लोकसभा सीट उनके खाते में जा सकती है।
भाजपा का रातभर मंथन
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शीर्ष नेता लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की पहली सूची तैयार करने में जुटे हैं। उम्मीदवारों की पहली सूची को अंतिम रूप देने के मकसद से विचार-विमर्श करने के लिए भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक शुक्रवार तड़के समाप्त हुई जिसमें प्रधानमंत्री मोदी सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। यह बैठक पार्टी मुख्यालय में बृहस्पतिवार रात करीब साढ़े 10 बजे शुरू हुई थी और चार घंटे से अधिक समय तक चली।