शापूरजी पालोनजी को बेंगलुरु में लक्जरी घरों की बिक्री से 500 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद
जीपीटी हेल्थकेयर का शेयर 16 प्रतिशत की बढ़त के साथ सूचीबद्ध
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में देश में एफडीआई प्रवाह 13 प्रतिशत घटकर 32 अरब डॉलर पर
नई दिल्ली
शापूरजी पालोनजी रियल एस्टेट ने बेंगलुरु में 180 से अधिक लक्जरी घरों की पेशकश की। इससे कंपनी को 500 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद है।
कंपनी ने बयान में कहा कि उसने बेंगलुरु के बिन्नीपेट में अपनी परियोजना पार्कवेस्ट 2.0 में आखिरी टावर 'सिकोया' की शुरुआत की है।
कंपनी इस आखिरी टावर में 180 से अधिक लक्जरी अपार्टमेंट बनाएगी। इसमें बिक्री योग्य क्षेत्र 4.3 लाख वर्ग फुट होगा। इससे कंपनी को लगभग 500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
शापूरजी पालोनजी रियल एस्टेट के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) वेंकटेश गोपालकृष्ण ने कहा, ''पार्कवेस्ट 2.0 का आखिरी टावर सिकोया हमारे शिल्प कौशल के प्रति अटूट समर्पण का प्रमाण है।''
बेंगलुरु भारत के प्रमुख रियल एस्टेट बाजारों में से है।
आवास ब्रोकरेज कंपनी प्रॉपटाइगर के आंकड़ों के अनुसार, आवासीय संपत्तियों की बिक्री पिछले साल 44 प्रतिशत बढ़कर 44,002 इकाई हो गई। यह आंकड़ा 2022 में 30,467 इकाई का था। पिछले साल नए घरों की आपूर्ति भी 14 प्रतिशत बढ़कर 42,215 इकाई से 47,965 इकाई हो गई।
जीपीटी हेल्थकेयर का शेयर 16 प्रतिशत की बढ़त के साथ सूचीबद्ध
नई दिल्ली
जीपीटी हेल्थकेयर लिमिटेड का शेयर अपने 186 रुपये के निर्गम मूल्य के मुकाबले 16 प्रतिशत से अधिक बढ़त के साथ सूचीबद्ध हुआ। जीपीटी हेल्थकेयर मध्यम आकार के मल्टी-स्पेशियल्टी अस्पतालों का परिचालन करती है।
बीएसई पर कंपनी के शेयर की शुरुआत 16.20 प्रतिशत की बढ़त के साथ 216.15 रुपये पर हुई।
बाद में यह 18.11 प्रतिशत चढ़कर 219.70 रुपये पर पहुंच गया।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी का शेयर 15.59 प्रतिशत की बढ़त के साथ 215 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ।
कंपनी का बाजार मूल्यांकन 1,653.40 करोड़ रुपये पर था।
जीपीटी हेल्थकेयर लिमिटेड के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को सोमवार को निर्गम के अंतिम दिन 8.52 गुना अभिदान मिला था।
आईपीओ के लिए मूल्य दायरा 177-186 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में देश में एफडीआई प्रवाह 13 प्रतिशत घटकर 32 अरब डॉलर पर
नई दिल्ली
देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रवाह चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह यानी अप्रैल-दिसंबर-2023 में 13 प्रतिशत घटकर 32.03 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया है।
सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
मुख्य रूप से कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, वाहन और फार्मा क्षेत्रों में कम निवेश के कारण एफडीआई घटा है।
पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में देश में 36.74 अरब डॉलर का एफडीआई आया था।
हालांकि, चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान एफडीआई प्रवाह 18 प्रतिशत बढ़कर 11.6 अरब डॉलर रहा है, जो 2022-23 की समान तिमाही के दौरान 9.83 अरब डॉलर था।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के आंकड़ों के अनुसार, कुल एफडीआई प्रवाह (जिसमें इक्विटी प्रवाह, पुनर्निवेश आय और अन्य पूंजी शामिल है) अप्रैल-दिसंबर, 2022 के 55.27 अरब डॉलर के मुकाबले चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में सात प्रतिशत घटकर 51.5 अरब डॉलर रह गया है।
चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह में कुछ प्रमुख देशों मसलन सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, साइप्रस और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से एफडीआई इक्विटी प्रवाह में कमी आई है।
अप्रैल-दिसंबर, 2023 के दौरान केमैन आइलैंड और साइप्रस से एफडीआई घटकर क्रमश: 21.5 करोड़ डॉलर और 79.6 करोड़ डॉलर रह गया। एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा क्रमश: 62.4 करोड़ डॉलर और 1.15 अरब डॉलर रहा था।
हालांकि, मॉरीशस, नीदरलैंड, जापान और जर्मनी से एफडीआई बढ़ा है।
विभिन्न क्षेत्रों की बात की जाए, तो कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, व्यापार, सेवाओं, दूरसंचार, वाहन, फार्मा और रसायन क्षेत्र में एफडीआई प्रवाह में में कमी आई है।
इसके उलट निर्माण (बुनियादी ढांचा) गतिविधियों और बिजली क्षेत्रों को अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश मिला है।
राज्यवार आंकड़ों को देखें, तो महाराष्ट्र में चालू वित्त वर्ष के पहले नौ माह के दौरान सबसे अधिक 12.1 अरब डॉलर का एफडीआई आया है। एक साल पहले समान अवधि में यह 10.76 अरब डॉलर था।
वहीं कर्नाटक में एफडीआई घटकर 3.6 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 8.77 अरब डॉलर था।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान जिन अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एफडीआई में गिरावट आई है, उनमें दिल्ली, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और हरियाणा शामिल हैं।
हालांकि, गुजरात, तेलंगाना और झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ा है।
एक अधिकारी ने पहले कहा था कि वैश्विक स्तर पर ब्याज दरें सख्त होने और बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति ने एफडीआई प्रवाह प्रभावित हुआ है।
भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 2022-23 में 22 प्रतिशत घटकर 46 अरब डॉलर रहा था।