भोपाल
बाघ संरक्षण प्राधिकरण से सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद वन विभाग रातापानी अभयारण्य को प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व क्षेत्र बनाने की कवायद तेज कर दी है। इस कार्य को धरातल पर उतारने के लिए शासन ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों से सहमति लेने के लिए वन विभाग को हरी झंडी दे दी हैं। वाइल्ड लाइफ शाखा के अधिकारियों ने इस मामले को लेकर सांसद, विधायको, जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और सरपंचों से सहमति लेने की प्रक्रिया पर काम करना शुरू कर दिया है।
भोपाल परिक्षेत्र के सीसीएफ आरके खरे ने बताया कि अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए शासन से मंजूरी मिल गई है। उन्होंने बताया कि सीएम मोहन यादव भी रातापानी अभयारण्य को लेकर गंभीर है। मौजूदा समय में रातापानी अभयारण्य में 56 टाइगर और भारी संख्या में तेंदुआ, भालू और हिरण पाए जाते है। उन्होंने बताया कि यह अभयारण्य रायसेन, भोपाल और सीहोर तीन जिलों में फैला हुआ हैं। 823 वर्ग किलोमीटर में रातापानी अभयारण्य फैला हुआ हैं। सहमति प्रक्रिया के दौरान वन विभाग की टीम ने अभयारण्य में ईको सेंसटिव जोन और विस्थापन को लेकर भी काम करना शुरू कर दिया है। विभाग इस बार टाइगर रिजर्व एरिया को कम करने का प्रयास भी कर रहा है। कोर एरिया में 3 वन ग्राम और 12 राजस्व ग्राम आते हैं। बफर एरिया में 20 ग्राम आते है।
लोकसभा चुनाव के बाद होगा घोषित
रातापानी अभयारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित होने में अब ज्यादा समय नहीं लगने वाला है। यह प्रक्रिया अभी पूरी हो जाती। लोकसभा चुनाव के चलते मार्च के प्रथम सप्ताह में आचार संहिता लग जाएगी। विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अगर सामने लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया नहीं रहती तो मार्च-अप्रैल में इसे टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया जाता। जनप्रतिनिधियों से सहमति मिलने के बाद एक आवेदन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को देना होगा। सुप्रीम कोर्ट की सहमति मिलने के बाद इसे टाइगर रिजर्व घोषित कर दिया जाएगा।