नई दिल्ली
लगभग 10 वर्षों तक इस पर काम करने के बाद, Apple ने आखिरकार अपने महत्वाकांक्षी Apple कार प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, दिग्गज टेक्नोलॉजी कंपनी ऐप्पल ने अपने (Titan) प्रोजेक्ट को बंद कर दिया है, जिसके तहत कंपनी कथित तौर पर पिछले एक दशक से इलेक्ट्रिक कार के निर्माण पर काम कर रही थी. तो आखिर ऐसा क्या हुआ, जो स्टीव जॉब्स के प्रमुख विजन प्रोजेक्ट्स में से एक इस योजना को स्थगित करना पड़ा.
ऐप्पल कार का कॉन्सेप्ट स्टीव जॉब्स के दिनों का है, जब उन्होंने और एक पूर्व वरिष्ठ वीपी ने इस बारे में कुछ बातचीत की थी कि उनकी सपनों की कार कैसी दिखेगी. साल 2014 में Apple ने इलेक्ट्रिक वाहन बनाने के बारे में गंभीर होना शुरू कर दिया और "टाइटन" नामक एक सिक्रेट प्रोजेक्ट शुरू किया. समय-समय पर इस परियोजना से जुड़ी तमाम खबरें आती रहीं और नए अपडेट्स भी मिलते थें. लेकिन आखिरकार ऐप्पल कार प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार कोडनेम "प्रोजेक्ट टाइटन" को बंद कर दिया गया है. हालांकि ऐप्पल ने कभी भी खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया कि कंपनी एक कार पर काम कर रही है, हालांकि इसके कई संकेत मिलते रहे थें.
कैसे हुई सेल्फ-ड्राइविंग कार कॉन्सेप्ट की शुरुआत:
हमेशा टॉप रहने वाले, Apple के कुछ टॉप ऑफिशियल्स ने साल 2008 में ही सेल्फ-ड्राइविंग कॉन्सेप्ट कार के बारे में मंथन शुरू कर दिया था. ब्लूमबर्ग के साथ एक साक्षात्कार में, कंपनी के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष टोनी फैडेल ने कहा था कि, "वो और स्टीव जॉब्स अधिकतर कंपनी के इलेक्ट्रिक कार के बारे में बात करते थें. वो कहते हैं कि, हम एक दूसरे से कई तरह के सवाल करते थें, मसलन यदि हम अपनी पहली कार बनाएंगे तो वो कैसी होगी, कार की सीट और डैशबोर्ड कैसा होगा इत्यादि?
दरअसल, टोनी फैडेल का मानना था कि, इलेक्ट्रिक कारों और स्मार्टफोन में कई समानताएं होती हैं. जैसे कि, दोनों बैटरी से चलते हैं. इनमें एक कम्प्यूटर, एक मोटर और मैकेनिकल पार्ट्स होते हैं. ये कुछ वैसा ही होता है जैसे कि iPhone होते हैं. इसलिए Apple को इलेक्ट्रिक कार बिजनेस में भी उतरना चाहिए. इस तरह के विचारों के साथ ही Apple Electric Car प्रोजेक्ट की शुरुआत गोपनीय तरीके से की गई थी.
Titan प्रोजेक्ट की शुरुआत:
स्टीव जॉब्स और टोनी फैडेल के बीच हुई बातचीत ने आखिरकार साल 2014 में एक प्रोजेक्ट की शक्ल को अख्तियार किया. इस दौरान कंपनी ने अपने सीक्रेट टाइटन प्रोजेक्ट को शुरू किया. बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनी अत्याधुनिक तकनीक और फीचर्स से लैस एक इलेक्ट्रिक कार पर काम कर रही थी. WSJ की एक रिपोर्ट के अनुसार, Apple ने इस प्रोजेक्ट के लिए सैकड़ों कर्मचारियों को नियुक्त किया और एक मिनीवैन की तरह दिखने वाले डिज़ाइन पर काम करना शुरू किया. कंपनी अपनी इस परियोजना के साथ इलेक्ट्रिक व्हीकल सेग्मेंट में भी स्मार्टफोन निर्माता की तरह दिग्गज बनना चाहती थी.
पहला झटका:
माना जाता है कि, साल 2016 के दौरान Apple की इस योजना को पहला झटका लगा. जब कंपनी ने अपनी योजना को दो अलग-अलग डिविजन में विभाजित करने का फैसला किया. एक डिविजन को इलेक्ट्रिक सेल्फ-ड्राइविंग कार सॉफ्टवेयर के निर्माण पर फोकस करने की जिम्मेदारी दी गई, जबकि दूसरे को कार मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, Apple ने सॉफ्टवेयर के डेवलपमेंट QNX के संस्थापक और कार सॉफ्टवेयर के टॉप एक्सपर्ट में से एक डैन डॉज को हायर किया था.
टिम कुक ने पहली बार दिया संकेत:
Apple की सेल्फ-ड्राइविंग कार के बारे में अब तक कई बार सुना जा चुका था. लेकिन कंपनी के सीईओ टिम कुक ने जब सार्वजनिक रूप से सेल्फ-ड्राइविंग कारों की बात की तो ऐप्पल के इस प्रोजेक्ट पर मुहर लगती दिखी. जबकि कुक ने स्पष्ट रूप से "Apple Car" का उल्लेख नहीं किया था और न ही कोई डिटेल शेयर किया था. उन्होंने कहा कि सेल्फ-ड्राइविंग कारें, इलेक्ट्रिक कारें और राइड-शेयरिंग कंपनियां ऑटो इंडस्ट्री को को हिला देंगी. उन्होंने संकेत दिया कि Apple इस क्रांति का हिस्सा बनना चाहता है, उन्होंने कहा कि कंपनी "ऑटोनॉमस सिस्टम" पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
2024 में आने वाली थी ऐप्पल कार:
साल 2020 में ऐप्पल की इलेक्ट्रिक कार के लॉन्च को लेकर पहली बार एक टाइमलाइन सामने आई. हालांकि अभी भी कंपनी की तरफ से कोई जानकारी शेयर नहीं की गई थी. लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि, Apple Car को साल 2024 तक लॉन्च किया जा सकता है. इसके बारे में यह भी कहा गया कि, कंपनी इस कार में अपने बैटरी का इस्तेमाल करेगी और ये लांग रेंज वाली इलेक्ट्रिक कार होगी. ये भी ख़बरें आई कि, Apple अपने कार वाले प्रोजेक्ट के लिए किआ और हुंडई जैसी कंपनियों से भी हाथ मिला सकता है, जो कि इस कार के मैन्युफैक्चरिंग में मदद करेंगी.
लेकिन, दशकों की चर्चा… लंबा इंतज़ार और स्टीव जॉब्स के प्रमुख विजन प्रोजेक्ट्स में से एक 'Titan' परियोजना को आखिरकार बंद कर दिया गया. 27 फरवरी 2024 को कंपनी ने इस परियोजना पर काम कर रहे अपने 2,000 कर्मचारियों को सूचना दी की कि वह इसे बंद कर रहा है.
अरबों डॉलर का खर्च:
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि, प्रोजेक्ट टाइटन ने कथित तौर पर अरबों डॉलर खर्च किए गए, क्योंकि ऐप्पल ने सेल्फ-ड्राइविंग सॉफ्टवेयर और ब्रेकथ्रू बैटरी तकनीक से चलने वाली इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की पाई-इन-द-स्काई योजना शुरू की थी. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले पांच वर्षों में ऐप्पल ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर 113 अरब डॉलर खर्च किए हैं. आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि, इलेक्ट्रिक कार के लिए कंपनी ने कितना खर्च किया होगा.
जब मस्क ने कहा Tesla की कब्रगाह है Apple:
यूके के द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 के दौरान टेस्ला के मुख्य कार्यकारी एलन मस्क (Elon Musk) ने एप्पल पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि, उनके कर्मचारी टेक कंपनी को "टेस्ला कब्रिस्तान" कहते हैं. इस दावे को खारिज करते हुए कि ऐप्पल सेल्फ-ड्राइविंग कार प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए टेस्ला के कर्मचारियों के प्रमुख सदस्यों को काम पर रख रहा है, मस्क ने कहा "उन्होंने उन लोगों को काम पर रखा है जिन्हें हमने निकाल दिया है. हम हमेशा मजाक में ऐप्पल को 'टेस्ला कब्रिस्तान' कहते हैं . "यदि आप टेस्ला में सफल नहीं हो पाते हैं, तो आप एप्पल में काम करेंगे.