पंजाब में फिर शुरू हुआ किसान आंदोलन, चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठे; राजधानी में घुसने से रोका

चंडीगढ़। पंजाब के 23 किसान संघों से जुड़े सैकड़ों किसान मंगलवार सुबह से ही चंडीगढ़ की ओर आने लगे, लेकिन बाद में इन यूनियनों के नेताओं को एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक के लिए बुलाया गया। जिसके बाद किसान संघ के नेताओं ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के अलावा किसी और से मिलने से इनकार कर दिया, जिससे दोनों पक्षों के बीच गतिरोध पैदा हो गया है। पंजाब के किसान गेहूं खरीद पर बोनस और 10 जून से धान की बुवाई शुरू करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद मंगलवार को चंडीगढ़-मोहाली सीमा के निकट धरने पर बैठ गए हैं। यूनियन के नेताओं ने दावा किया कि पूरे पंजाब में पुलिस ने बैरिकेड्स लगा रखे थे और किसानों को चंडीगढ़ में पक्के धरने के लिए मार्च स्थल पर पहुंचने से रोक दिया गया। नतीजतन, कुछ किसान मोहाली के अम्ब साहिब गुरुद्वारे तक पहुंचने में कामयाब रहे- जहां से उन्हें चंडीगढ़ जाना था।
सरकार का साथ दें किसान- भगवंत मान
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विरोध को ‘‘अनुचित और अवांछनीय’’ करार देते हुए किसान यूनियनों से नारेबाजी बंद करने और पंजाब के घटते जल स्तर को रोकने के लिए राज्य सरकार का साथ देने के लिए कहा। मान ने कहा कि किसानों के लिए बातचीत के दरवाजे खुले हैं, लेकिन ‘‘खोखले नारे’’ घटते जल स्तर पर लगाम लगाने के उनके संकल्प को नहीं तोड़ सकते। उन्होंने यह भी कहा कि वह एक किसान के बेटे हैं और फसल उत्पादकों की समस्याओं से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
इससे पहले, किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने पंजाब की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री बुधवार तक प्रदर्शनकारियों के साथ बैठक नहीं करते हैं, तो वे अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन करने के लिए चंडीगढ़ की ओर बढ़ेंगे। एक किसान नेता ने कहा कि वे राज्य सरकार के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं, लेकिन अगर उनके मुद्दों का समाधान नहीं हुआ तो उन्हें अवरोधकों को तोड़ना पड़ेगा और फिर चंडीगढ़ की ओर बढ़ना होगा। केंद्र शासित प्रदेश में अपनी मांगों को लेकर कई किसान संगठनों के अनिश्चितकालीन प्रदर्शन के आह्वान के मद्देनजर चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है।
किसानों को रोकने के लिए पुलिस मुस्तैद
मोहाली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को चंडीगढ़ में प्रवेश करने से रोकने के लिए अवरोधक लगाने के साथ-साथ पानी की बौछार छोड़ने के लिए वाहन तैनात किए हैं। चंडीगढ़ पुलिस ने भी इसी तरह के सुरक्षा इंतजाम किए हैं। कई किसान संगठनों ने केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर एक वर्ष के लंबे आंदोलन की तर्ज पर चंडीगढ़ में अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का आह्वान किया है। अपनी विभिन्न मांगों में किसान प्रति क्विंटल गेहूं पर 500 रुपये का बोनस चाहते हैं क्योंकि भीषण गर्मी की स्थिति के कारण उनकी उपज घट गई है और गेहूं के दाने सिकुड़ गए हैं। वे बिजली के बोझ को कम करने और भूमिगत जल के संरक्षण के लिए 18 जून से धान की बुवाई की अनुमति देने के पंजाब सरकार के फैसले के भी खिलाफ हैं।
10 जून से धान की बुवाई की अनुमति दे सरकार
हालांकि, प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार उन्हें 10 जून से धान की बुवाई की अनुमति दे। वे मक्का और मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए अधिसूचना भी जारी करवाना चाहते हैं। वे राज्य सरकार से बिजली लोड को बढ़ाने पर लगने वाले शुल्क को 4,800 रुपये से घटाकर 1,200 रुपये करने और बकाया गन्ना भुगतान जारी करने की भी मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी स्मार्ट बिजली मीटर लगाने का भी विरोध कर रहे हैं।

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